शेयर मार्केट में एलआईसी की सूचीबद्धता व बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत आईपीओ के विरोध में हड़ताल

दिनेश शर्मा,गाजियाबाद। एलआईसी कर्मचारियों का कहना है कि भारत सरकार ने 2020-21 के आम बजट में बीमा क्षेत्र से संबंधित दो घोषणायें की थी:-1- एलआईसी का आईपीओ लाकर इसकी पूँजी के हिस्से को शेयर मार्केट से सम्बद्ध करना 2- बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करना और 74 प्रतिशत वाले विदेशी पूँजी वाले संस्थान को मालिकाना हक देना। कर्मियों का मानना है कि उक्त दोनों प्रस्ताव भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। सरकार द्वारा एलआईसी के आईपीओ को जारी करने का निर्णय 42 करोड़ भारतीय पालिसी धारकों के हितों के ऊपर मात्र 2.78 करोड़ लोग जो शेयर मार्केट में निवेश करते हैं,उनके अधिकारों या लाभ को प्राथमिकता देने का अवसर देगा और अनुमानित एक लाख करोड़ की पूँजी के लिए उस संस्थान के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ करना होगा जो आज तक भारत सरकार को उसकी पंचवर्षीय योजनाओं के लिए 50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सहयोग कर चुका है और इसके अतिरिक्त 5 करोड़ के आरम्भिक पूँजी पर आजतक भारत सरकार को लगभग 28 हजार करोड़ रुपये लाभांश दे चुका है। भारत सरकार के लोन का 25 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा एलआईसी के द्वारा ही वहन किया जाता है। आजतक 30 लाख करोड़ से अधिक का शेयर मार्केट में निवेश करने वाले संस्थान को शेयर मार्केट में लाने का प्रयास किया जा रहा है जो उसके सार्वजनिक उद्योग के स्वरुप व देशहित व राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विपरीत है और यह राष्ट्रनिर्माण व आधारभूत ढांचे में के योगदान को भी दुष्प्रभावित करेगा और यह उस कहावत को भी चरितार्थ करेगा कि ” ज्यादा लाभ कमाने के लिए सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी को हलाल करना” है। एलआईसी की उन्नति,विस्तार और पालिसीधारकों की संख्या और दावा भुगतान के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी बीमा कम्पनी के रूप में उभरना,यह सब एलआईसी ने अपने आंतरिक संसाधनों के बल पर किया है। सन् 1956 और उससे पूर्व 245 निजी बीमा कम्पनियां जनता के पैसों का दुरुपयोग और घोटाले कर रहीं थीं। उसी जनता की गाढ़ी कमाई की रक्षा करने तथा जनता के पैसे का जनता के हित में प्रयोग करने के लिए ही एलआईसी का गठन किया गया था। इन दोनों ही उद्देश्यों को एलआईसी ने 65 वर्षों में बखूबी निभाया है और अपने लाभांश का 95 प्रतिशत धन पालिसी धारकों को देने के बाद 32 लाख करोड़ की लाइफ फंड के रूप में संपदा अर्जित की है जोकि विश्व के 75 देशों की जीडीपी से भी अधिक है। सरकार का कहना है कि आईपीओ से पारदर्शिता आयेगी जबकि एलआईसी हर महीने आईआरडीए को अपनी रिपोर्ट सौंपती है,हर तिमाही कार्य की रिपोर्ट देती है तथा हर वर्ष संसद में लेखा जोखा प्रस्तुत करती है,इससे ज्यादा पारदर्शिता और क्या हो सकती है। बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किए जाने और 74 प्रतिशत के मालिक विदेशी साझीदार को मालिकाना हक सौंपने के अधिकार का बजटीय प्रस्ताव देश की जनता की घरेलू बचत को विदेशी पूँजी के हाथ में सौंपने का कार्य होगा । बीमा क्षेत्र के विस्तार व इंश्योरेंस पेनिट्रेशन के लिए एफडीआई की सीमा को 74 प्रतिशत किए जाने का तर्क बेमानी है क्योंकि भारत में औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 2100 डॉलर है जबकि फ्रांस की 53000 डॉलर अत: ऐसे देशों से बीमा की पहुँच की तुलना करना बेमानी है।भारत में बीमा लेने योग्य कुल जनसंख्या लगभग 60 करोड़ के आसपास है और इनमें से अकेले एलआईसी 42 करोड़ व्यक्तियों (समूह बीमा सहित) को जीवन बीमा की सुरक्षा प्रदान करती है। आज जब विपत्तिकाल में देश जो विकास के लिए भारी संसाधनों की जरूरत है तब यह आवश्यक है कि आन्तरिक विशेषकर घरेलू बचतों पर सरकार नियंत्रण रखे। एलआईसी में कर्मचारियों की वेतन वृद्धि 1 अगस्त 2017 से लागू होनी चाहिए थी परन्तु 43 महीने बीत जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है जिससे कि कर्मचारियों में भारी रोष है अत: सरकारी पूँजी का एक हिस्सा बेचने एलआईसी-एफडीआई की सीमा बढ़ाकर मालिकाना हक़ विदेशी हाथों में सोंपने का विरोध किसी अन्य स्वार्थ से प्रेरित न होकर देश की अर्थव्यवस्था व राष्ट्रहित व आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतो पर आधारित है। संयुक्त मोर्चे के आव्हान पर इस हड़ताल में समस्त कर्मचारियों,अधिकारियों,विकास अधिकारियों एवं अभिकर्ताओं ने शामिल होकर जबरदस्त प्रदर्शन किया तथा उपरोक्त परिस्थितियों में हम सबकी भारत सरकार से मांग है कि उक्त प्रस्तावों पर पुनर्विचार करके इन्हें वापस ले तथा वेतन समझौता भी शीघ्रातिशीघ्र किया जाये ।
प्रदर्शन में संजय कौशिक,भीम सिंह नेगी,पंकज शर्मा,संदीप गुप्ता, राजीव शर्मा,नुपुर अवस्थी,अर्चना जैन,रीना गौतम,नीलम,शिवांग,मोहित यादव,अरुणेश शुक्ला,अमितराज, आर.अनुराधा,दीपक गुप्ता,विनीत रावत,पूनम सिंह,सुनील,विजय सिंह, राकेश सक्सैना,नेहा सैनी,शीशपाल यादव,सीमा मित्तल,अर्नब मंडल, अनुज चौहान,कान्ता रानी,अनिल कौशिक,अमित सिंह,सुमित कुमार, प्रीति त्यागी,अनुराग सचान,गौरव कुमार चंचल सैनी,राजीव गुप्ता, जगतनारायण,आलोक सक्सैना, सुरभि विश्नोई आदि ने भाग लिया।