चूहों को पकडऩे में रेलवे का खर्च हो गया 10 लाख

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गोरखपुर। रेलवे ने चूहों को पकडऩे के लिए आठ महीनों में 10 लाख रुपये खर्च किये है। दरअसल जिन कर्मचारियों ने 12 ट्रेनों में से चूहों को पकड़ा है। वो कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई और मुंबई की तरफ जाने वाली ट्रेनों में मिले है। रेलवे ने चूहे पकडने के लिए आउटसोर्स पर दस कर्मचारी तैनात हैं जो रोजाना बारह ट्रेनों के 96 कोचों में रैट कैचर लगाकर चूहों को पकड़ते हैं। आठ महीनों में गोरखपुर-कोलकाता में 330 चूहे पकड़े गए।एक कर्मचारी का कहना है कि चूहों को पकडऩा आसान नहीं होता। क्योंकि छोटे चूहे तो रैट कैचर में आसानी से आ जाते है। लेकिन बड़े चालाक होते है, वे काफी तंग भी करते है। रेलवे के लिए चूहे बड़ी समस्या हैं। क्योंकि चूहे यात्रियों के खाने-पीने का सामना खा लेते है। सीट कवर कुतर देते है।एसी कोच में बेडरोल को भी कुतरने में परहेज नहीं करते है। लाइट और पंखों के तार काट देते है। एक संस्था को चूहे पकडऩे का काम सौंप दिया गया है। जो रोजाना चूहों को पकडऩे का काम करती है। वैसे तो चूहों की संख्या कुछ कम हो चूकी है।