बाराबंकी। सद्गुरू एक जीवन पद्धति का निर्माण करते है। शिष्य की पात्रता के अनुरूप वे मंत्र दीक्षा के साथ प्राण एवं अग्निदीक्षा से उसके व्यक्तित्व को लोक कल्याण करने के योग्य बनाते है। यही उनके जीवन का मर्म होता है। गायत्री परिवार ट्रस्ट, गायत्री शक्तिपीठ बाराबंकी द्वारा सिविल लाइन स्थित गोल्डन पैलेस में आयोजित युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा दीक्षित परिजनों के सम्मेलन में शान्तिकुंज प्रतिनिधि कमलेश राय ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि युग निर्माण व्यक्ति के निर्माण से होना है और व्यक्ति का निर्माण व्यक्तित्व के निर्माण तथा आत्म प्रबन्धन द्वारा होगा। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ दीपप्रज्जवल एवं प्रेरणा गीत साथ दे जाओ जरा आवाज तुमको दे रहा हूं, भार उठवाओं जरा आवाज तुमको दे रहा हूं से हुआ। शन्ति कुंज टोली में पधारे उपजोन समन्वयक देशबन्धु तिवारी ने भारतीय गुरू शिष्य परम्परा, सद्गुरू का स्वरूप एवं दीक्षा प्राप्त होने का महत्व उपस्थित परिजनों को समझाया। उन्होंने कहा कि साधना स्वाध्याय, संयम एवं सेवा से ही आध्यात्मिक जीवन की शुरूवात होती है। कार्यक्रम में अमरनाथ दुबे ने साधना द्वारा आध्यात्मिक रक्षा कवच का परिचय कराया। लगभग 4 घंटे चले इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से मिशनरी गतिविधियों एवं सप्तान्दोलनों के संचालन हेतु समय दान एवं अंशदान के संकल्प भी कराये गये। पूरे कार्यक्रम में शक्ति पीठ व्यवस्थापक सीपी श्रीवास्तव, एपी शर्मा, युवा समन्वयक अखिलेश पाण्डेय, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, अशोक वर्मा, बेचनलाल वर्मा, जगदम्बा प्रसाद शुक्ल, अवध शरण वर्मा, रामनाथ मौर्य, रामचन्द्र वर्मा, बहोरी प्रसाद शुक्ला, आलोक शर्मा, दिनेश दीक्षित, शान्ति दीक्षित, शीला सिंह सहित गायत्री परिवार के हजारो परिजन उपस्थित रहे।