नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कई पदाधिकारी शेष तीन चरणों के लिए पारंपरिक चुनाव प्रचार के विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि दोनों दलों के पदाधिकारी बड़ी रैलियों और रथयात्राओं के लिए विकल्प खोजने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं। ये वे तरीके होंगे जिसके जरिए राजनीतिक दलों को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिलेगा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “इस बात की बहुत चर्चा है कि क्या हमें रथयात्रा जारी रखनी चाहिए, जहां हजारों लोग इक_ा होते हैं और बड़ी रैलियां भी करते हैं?” इस बहस के बीच आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा के दोनों वरिष्ठ नेता और आरएसएस का मानना है कि अगर राजनीतिक दलों में सहमति बनती है तो सार्वजनिक सभाओं के जरिए प्रचार करने से बचना चाहिए।उन्होंने कहा, “कोरोना के प्रसार रोकने के लिए नुक्कड़ सभा, जिसमें सीमित संख्या में लोगों के साथ बैठकें होती हैं, सबसे अच्छा तरीका है।”दिलचस्प बात यह है कि गुरुवार को ऐसी ही एक नुक्कड़ सभा के दौरान भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने घोषणा की कि कोलकाता और उसके आसपास बड़ी रैलियों के बजाय केवल नुक्कड़ सभाएं होंगी। उन्होंने सभी को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में मास्क पहनने के लिए भी कहा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से उपस्थित सभी लोगों को मास्क वितरित करने के लिए भी कहा।
चुनाव प्रचार का नया हथियार खोजने में लगी बीजेपी-आरएसएस
