श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। जनपद में अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने हेतु जीडीए उपाध्यक्ष करुणा करुणेश की प्राधिकरण सभागार में समस्त प्रवर्तन प्रभारी, सहायक अभियंताओं तथा अवर अभियंताओं के साथ मैराथन मीटिंग संपन्न हुई। इस मीटिंग में नोडल अधिकारी प्रवर्तन तथा विशेष कार्य अधिकारी को भी आमंत्रित किया गया था । इस मीटिंग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिनमें अनाधिकृत निर्माणों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करते हुए तत्काल निर्माण को सील करने का निर्णय लिया गया । स्वीकृत मानचित्र होने पर प्राधिकरण द्वारा दी गई स्वीकृति के अतिरिक्त निर्माण होने पर भी निर्माणकर्ता को नोटिस देकर सीलिंग की कार्रवाई का निर्णय लिया गया । बहुमंजिला भवनों का निर्माण स्वीकृत मानचित्र में दर्शित इकाइयों से अधिक नहीं होने दिया जाएगा । अतिरिक्त निर्माण पाए जाने पर एक्ट की धाराओं के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वीकृत मानचित्र से अधिक तलो का निर्माण किसी भी परिस्थिति में नहीं होने दिया जाएगा । यदि पूर्व में अतिरिक्त तलो का निर्माण कर लिया गया है तो शमन सीमा से अधिक निर्माण को तत्काल ध्वस्त किया जाएगा। मीटिंग में सम्मिलित समस्त स्टाफ एवं अधिकारी को सम्मिलित रूप से यह दायित्व सौंपा गया कि किसी भी भवन में किसी भी सूरत में शमन सीमा से अधिक निर्माण ना होने दिया जाए । बैठक में उपस्थित नोडल अधिकारी प्रवर्तन द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि यदि 15त्न से अधिक ध्वस्तीकरण भाग पहले से निर्मित भवनों में प्राप्त होता है तो ऐसी स्थिति में अतिरिक्त ध्वस्तीकरण भाग को ध्वस्त करने के उपरांत ही शमन मानचित्र प्रस्तुत किया जाएगा। इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण डिप्लोमा होल्डर संघ गाजियाबाद के सदस्यों द्वारा भी एक बैठक की गई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि पहले की भांति ही उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार बिना मानचित्र स्वीकृति बने निर्माणों को तत्काल प्रभाव से चिन्हित करते हुए सील कर दिया जाएगा। स्वीकृत मानचित्र के अतिरिक्त निर्माण को तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया जाएगा । शमन सीमा के अंतर्गत किए गए अतिरिक्त निर्माण को शमन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ अग्रिम शमन शुल्क जमा करने पर प्रवर्तन प्रभारी की सहमति से ही अग्रिम निर्माण कार्य जारी रखने की अनुमति निर्माणकर्ता को होगी। इसके साथ ही साथ यह भी निर्णय लिया गया कि सीलिंग अथवा ध्वस्तीकरण के समय सहायक अभियंता तथा प्रवर्तन प्रभारी की उपस्थिति अनिवार्य होगी जबकि कार्यवाही के समय अक्सर ऐसा नहीं होता है । करवाई के समय पर्याप्त पुलिस बल का होना भी अनिवार्य माना गया। इसके अलावा अवैध निर्माण कर्ताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाए जाने की प्रक्रिया विधिक रूप से उन अधिकारियों की होती है जिन के आदेशों का उल्लंघन होता है । इसलिए ऐसे दायित्व अवर अभियंता से पृथक ही किए जाएं । इसके अलावा अनावश्यक तथा तथ्यों से परे एवं व्यक्ति विशेष द्वारा निजी स्वार्थवश अत्यधिक मात्रा में आरटीआई एवं आइजीआरएस द्वारा की गई शिकायतों की संबद्धता की समीक्षा भी की जाए ।
जीडीए उपाध्यक्ष ने ली अधिकारियों बैठक: कई महत्वपूर्ण निर्णय
