टीपू बन गया सुलतान: सपा में अखिलेश युग पार्ट-टू का आगाज

AkhileshYadav tajअमृतांशु मिश्र,
लखनऊ। दीवाली के पहले यूपी की राजनीति में यह बड़ा धमाका है। यूपी में समाजवादी पार्टी में अखिलेश युग पार्ट-टू का आगाज हो गया है। सीएम ने चाचाओं और अभिभावकों से मुक्त होकर फैसले लेने का संकेत दे दिया है। वरिष्ठ मंत्रियों के विभाग छीन कर उनके साथ बाकी को भी चेतावनी दे दी है, अभी वक्त है सुधर जाओ। वह मुख्यमंत्री होने के साथ सपा के प्रदेश अध्यक्ष भी है। प्रदेश सरकार के चौथे और सबसे बड़े फेरबदल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में अपने तरीके से मोहरे सजाने की तैयारी में है। उनकी टीम 2017 के विधानसभा आम चुनाव को ध्यान में रख कर बनेगी। यूपी में मंत्रियों की शिकायत सीएम से लेकर सपा मुखिया तक पहुंच रही थी मगर कार्रवाई के नाम पर फाइल रूक जाती थी मगर अखिलेश ने एक झटके में पर कतर करके संकेत दे दिये हैं कि जब आगाज ये है तो अंजाम क्या होगा।
गुरूवार को उन्होंने जिन 8 मंत्रियों को बर्खास्त किया है उनमें ज्यादातर उनके चाचा व पीडब्ल्यूडी व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव व प्रो राम गोपाल यादव के खास माने जाते है जबकि जिन नौ मंत्रियों के विभाग छीने गए है वे सपा प्रमुख मुलायम सिंह के कृपा पात्र रहें हैं। खास बात यह है कि इस फेरबदल में विवादित मंत्रियों को जस का तस रखा गया है, जिनमें नगर विकास मंत्री आजम खां, भ्रष्टाचर के आरोपों से घिरे खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और पंडित सिंह जैसे चेहरे शामिल है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी कार्यप्रणाली से उन्हे भी सोचने को मजबूर कर दिया है।
इस्तीफे की जगह बर्खास्तगी क्यों
रोचक यह है कि बुधवार को मुख्यमंत्री ने उप्र के राज्यपाल राम नाईक से राजभवन में मुलाकात की थी। गुरूवार को राज्यपाल ने प्रेसनोट जारी कर इस बात का खुलासा किया कि मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल के 8 मंत्रियों को हटा दिया गया है, और 9 मंत्रियों के विभाग ले लिया है। राजनीति के जानकार कहते है कि मुख्यमंत्री की यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। दो दिन पहले पार्टी के महासचिव व प्रवक्ता प्रो.राम गोपाल यादव ने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात में हुई बातचीत को सार्वजनिक करने पर एतराज किया था। भाजपा के प्रवक्ता डा.चंद्रमोहन ने कहा कि सपा के अंदर सब ठीक नही है इसीलिए मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों से इस्तीफा लेने के बजाए उन्हे बर्खास्त किया। इस बात की जानकारी राजभवन ने दी न की सरकार की ओर से दी गई, लगता है कि मुख्यमंत्री को दाल में काला नजर आने लगा है।
पिछले दिनों पार्टी क राष्ट्रीय अधिवेशन में खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा था कि अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल भ्रष्टाचार में डूबे है उनके पास सूची है। इसके बाद मुलायम सिंह ने कई बार मंत्रियों के कामकाज पर कड़ा एतराज किया। झांसी में उन्होने कहा कि उनके मंत्रियों को पार्टी का घोषणा पत्र ही नही पता। जिन मंत्रियों के विभाग छीने गए है वे बेहद वरिष्ठ माने जाते रहें है। मुख्यमंत्री के कदम से मंत्रिमंडल के बाकी मंत्री भी सहमे है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाल रहे अहमद हसन, राम गोविंद चौधरी, महबूब अली, ब्रह्म शंकर त्रिपाठी, पारस नाथ यादव, दुर्गा प्रसाद यादव को एक जमाने में अखिलेश का अभिभावक की श्रेणी में रखा जाता था। अंबिका चौधरी की बर्खास्तगी भी मुख्यमंत्री की धमक का अहसास कराती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी छवि सुधारने के लिए जो यह कदम उठाया है वह फैसले का स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस वक्त प्रदेश सरकार की हालत एक तरफ कुआं और एक तरफ खांई वाली है। क्योंकि जो मंत्री बर्खास्त किए गए हैं, वे गुर्राएंगे और जो नए मंत्री बनाए जाएंगे वे काम नहीं करेंगे।
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मंत्रियों को क्यों हटाया गया-
1. राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, मंत्री स्टाम्प तथा न्यायशुल्क पंजीयन व नागरिक सुरक्षा-विभागीय निष्क्रियता, पार्टी के कामों में रूचि कम लेने के कारण पद गंवाना पड़ा।
2. अम्बिका चौधरी, मंत्री पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग कल्याण-ताकतवर मंत्री आजम खां से अनबन, विभाग के कार्यो में रूचि न लेना।
3. शिव कुमार बेरिया, मंत्री वस्त्र उद्योग एवं रेशम उद्योग-कानपुर की यादव लॉबी पसंद नही करती, दलित कोटे से होने के बावजूद समाज की गतिविधियेां में सक्रिय भागीदारी का अभाव।
4. नारद राय मंत्री, खादी एवं ग्रामोद्योग, कामकाज में लापरवाही रही, पार्टी संगठन में लगाया जाएगा वहां ज्यादा उपयोगी साबित हो सकते है।
5. शिवाकान्त ओझा, मंत्री प्राविधिक शिक्षा-विभाग के गुप्त कामों में रूचि ज्यादा रही, कामकाज को सुधारने में नाकाम रहे।
6. आलोक कुमार शाक्य, राज्यमंत्री प्राविधिक शिक्षा-विभाग के काम से दूरी, भ्रष्टाचार।
7. योगेश प्रताप सिंह योगेश भइया, राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा- भ्रष्टाचार की शिकायत के कारण हटे।
8. भगवत शरण गंगवार, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग
क्यों छीना गया विभाग-
1. अहमद हसन मंत्री चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण मातृ एवं शिशु कल्याण- उम्र का हॉवी होना, बेटे की विभाग में दखल की शिकायतें, भ्रष्टाचार पर काबू में नही, प्रशासनिक पकड़ बेहद कमजोर। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने एक साल पहले कहा था सिर्फ अहमद हसन ने एंबुलेंस चला कर चमत्कारी काम किया है। इसके बाद एंबुलेंस सेवा की छवि खराब होने लगी थी।
2. अवधेश प्रसाद मंत्री, समाज कल्याण अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण सैनिक कल्याण-छात्रवृत्ति और कल्याणकारी कार्यक्रम में ढिलायी और लापरवाही।
3. पारस नाथ यादव, मंत्री उद्यान खाद्य प्रसंस्करण-लोकसभा चुनाव हार गए थे, विभाग में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगरहा था।
4. राम गोविन्द चौधरी, मंत्री बेसिक शिक्षा- शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के मामले में विभागीय लापरवाही का ठीकरा टूटा, विभाग भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और प्रशासनिक चुस्ती में नाकाम रहे।
5. दुर्गा प्रसाद यादव, मंत्री परिवहन- परिवहन विभाग, भ्रष्टाचार का आरोप, ओवरलोड ट्रकों को खुली छूट, प्रशासनिक पकड़ न होना।
6. ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी, मंत्री होमगार्ड, प्रांतीय रक्षक दल- लगातार भ्रष्टाचार की शिकायत के कारण विभाग छीना गया।
7. रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया मंत्री, खाद्य एवं रसद-गरीबों को राशन नही पहुंच रहा है, प्रदेश भर से शिकायतें मिल रही थी। एपीएल व बीपीएल राशन की दुकानों से वितरण न होने की आम शिकायत।
8. इकलाब महमूद, मंत्री मत्स्य सार्वजनिक उद्यम-नया विभाग देने के लिए छीना गया।
9. महबूब अली, मंत्री माध्यमिक शिक्षा- भ्रष्टाचार की लगातार शिकायत, कामकाज में लापरवाही, नकल रोकने व परीक्षाकेन्द्र बनाने में धांधली की शिकायतें।