अफ्रीका और भारत के लिए विविधता जीवन का आधार: प्रणव मुखर्जी

pranavनई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग लेने आई विशिष्ट हस्तियों की अगवानी की और उनके सम्मान में रात्रि भोज दिया। राष्ट्रपति ने अपने कहा कि भारत और अफ्रीका एक- दूसरे को समझते हैं, क्योंकि हमारी भूमि अपने में विविधता की परिभाषा संजोए हैं। चाहे भौगोलिक विविधता हो- किलिमंजारों की बर्फ से लेकर सहारा तक या धर्मों, जातियों, जनजातियों, भाषाओं, बोलियों और संस्कृतियों की विविधता हो, अफ्रीका में ये सब है। वस्तुत: यही सब भारत में भी है। अफ्रीका और भारत के लिए विविधता जीवन का आधार है। यह हमें समृद्ध बनाती है और कहीं ज्यादा मजबूत बनाती है। यह इस बात को सुनिश्चित करती है कि हम सहअस्तित्व, संवाद, परस्पर समझ और शांति को अहमियत देते हैं। ये मानव विकास के परिप्रेक्ष्य हैं, जिन्हें भारत और अफ्रीका साझा करते हैं, ये वे परिप्रेक्ष्य हैं, जिनमें हम संघर्षों और संकटों से निपटने में शेष विश्व के लिए योगदान दे सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन भारत द्वारा अफ्रीका के साथ उसके संबंधों को दिये जाने वाले महत्व को प्रदर्शित करता है। इस मंच पर अफ्रीका के सभी देशों की भागीदारी हमारे देशों और हमारी जनता के बीच स्थायी भागीदारी कायम करने की सदस्य देशों की इच्छा को दर्शाती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारी जनता के भविष्य के लिए सामूहिक विजन बनाना हमारे राजनीतिक और आर्थिक संबंध की दिशा और रूपरेखा को आकार देने में महत्वपूर्ण साबित होगा। भारत और अफ्रीका में विश्व की एक तिहाई आबादी बसती है इसलिए विश्व के सतत विकास पर इस संबंध का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा।