शोध: इंसानों के ऐस्ट्रोवायरस अब्जॉर्ब कर लेते हैं बंदर

Thief-Monkeyहेल्थ डेस्क। अब तक हम इंसानों की गोद में बंदरों को खेलते, मदारी के इशारों पर बंदरों को नाचते हुए देखते रहे हैं पर वैज्ञानिक दृष्टि से पता चला है कि बंदर संकटमोचन भी हैं। शोधकर्ताओं ने बंदरों को लेकर एक नया खुलासा किया है। एशिया में जहां बंदर इंसानों से जल्दी ही घुल-मिल जाते हैं, वहीं वे इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस को भी अपने ऊपर ले लेते हैं। बताया गया कि बंदर ऐसे वायरस इंसानों से खींच लेते हैं, जिससे डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। बांग्लादेश और कंबोडिया में मैकाक (एक खास प्रजाति के बंदर) लोगों के काफी करीब रहते हैं।इस नए शोध में सामने आया है कि बंदर इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस को अब्जॉर्ब कर लेते हैं। वैज्ञानिक जोन एंजल्स ने बताया कि जैसे चिमगादड़ों से चिमगादड़ों वाले ऐस्ट्रोवायरस होते हैं वहीं बंदरों के ऐस्ट्रोवायरस में सभी शामिल होते हैं।हालांकि यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इन वायरस का आदान-प्रदान भी होता है? जैसे इंसानों से वायरस बंदर में गया और बंदर से कोई वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश किया। ऐस्ट्रोवायरस खासकर डायरिया बीमारी से जोड़कर देखे जाते हैं। डायरिया के साथ-साथ हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां भी ऐस्ट्रोवायरस से संबंध रखती हैं। टीम ने जो डेटा लिया उससे पता चला कि लगभग 25 प्रतिशत बंदर इंसानों से निकले ऐस्ट्रोवायरस से पीडि़त थे। यह अभी पता नहीं चला है कि बंदर इसके चलते बीमार भी हो रहे हैं या उन पर किसी भी तरह का असर पड़ रहा है? यह स्टडी रिपोर्ट पी.एल.ओ.ओस पेथोजंस में प्रकाशित हुई है।