अहम होगी पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा

modiनई दिल्ली। बिहार की हार के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा का रुतबा पहले जैसा तो नहीं रहेगा लेकिन भारत और ब्रिटेन के द्विपक्षीय रिश्ते को देखते हुए यह काफी अहम पड़ाव साबित हो सकता है। वैसे तो मोदी की इस हफ्ते के अंत में शुरु हो रही इस यात्रा की चर्चा वेम्बले स्टेडियम में उनके भाषण और बाबा भीम राव अंबेडकर के निवास स्थान पर जाने के लिए सुर्खियों में है। लेकिन इस दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में कुछ अहम समझौता होने के आसार हैं।
मोदी नौ वर्षों बाद ब्रिटेन की द्विपक्षीय यात्रा पर जाने वाले प्रधानमंत्री होंगे। वर्ष 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां गए थे। वर्ष 2009 में भी सिंह ब्रिटेन गये थे, लेकिन तब वह समूह20 देशों की बैठक का आयोजन था। वैसे इस दौरान ब्रिटेन के पीएम कई बार भारत आ चुके हैं। ब्रिटेन के मौजूदा पीएम डेविड कैमरून तीन बार भारत का दौरा कर चुके हैं। बहरहाल, कई जानकार मानते हैं कि पूर्व की यूपीए सरकार ने जान बूझ कर ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय रिश्ते को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। बहरहाल, विदेश मंत्रालय को उम्मीद है कि अब दोनों देशों के रिश्ते आर्थिक, पर्यावरण और समाजिक विकास के मामले में और तेजी से बढ़ेंगे। विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओं को बताया कि पीएम के दौरे के दौरान मुख्य तौर पर चार तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। इसमें रक्षा व सुरक्षा, विकास समझौता, ऊर्जा व पर्यावरण से जुड़े होंगे। इसके अलावा दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक के बाद एक दृष्टि पत्र भी जारी किया जाएगा। पीएम इस दौरान टाटा समूह की ऑटोमोबाइल फैक्ट्री जेआरएल भी जाएंगे। टाटा समूह ने जगुआर, रॉयल्स रॉयल जैसी प्रख्यात मॉडल की कारें बनाने वाली इस कंपनी को तब खरीदा था जब यह बंद होने के कगार पर थी। अब यह कंपनी मुनाफा कमा रही है। यह लंदन में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली कंपनी है। इस प्लांट की यात्रा कर पीएम मोदी यह संकेत देने की कोशिश करेंगे कि भारत सिर्फ दूसरे देशों से नौकरी ही नहीं लेता बल्कि भारतीय कंपनियां दूसरे देशों में नौकरी भी देती हैं। अभी 122 भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में कार्यरत हैं और लाखों को नौकरी दे रही हैं।