स्टडी रिपोर्ट: महिलाओं की तुलना में पुरूषों का दिमाग

Brain-Cancer-हाल की एक स्टडी का यह निष्कर्ष बहुत लोगों को चौंका सकता है कि महिलाओं चौंका सकता है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का दिमाग ज्यादा तेजी से बूढ़ा होता है। साइंस पत्रिका ब्रेन इमेजिंग एंड बिहेवियर में प्रकाशित इस स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने औसत 32 वर्ष की उम्र वाले 53 पुरुषों और 51 महिलाओं के मस्तिष्क का बारीकी से अध्ययन करने के बाद यह नतीजा निकाला।
आम बोलचाल की भाषा में कहें तो इसका मतलब यह हुआ कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का दिमाग ज्यादा मजबूत होता है। कहावतों वगैरह के जरिए अब तक पुरुषों ने यह धारणा चला रखी है कि महिलाएं भावनात्मक तौर पर ताकतवर भले ही हों, दिमाग के मामले में वे उनका (पुरुषों का) मुकाबला नहीं कर सकतीं।
अब नारीवादी धारा इस वैज्ञानिक निष्कर्ष को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकती है। हालांकि इस शाश्वत बहस को निपटाने में वैज्ञानिक अध्ययनों का उपयोग एक हद तक ही संभव है। इन अध्ययनों के अलग-अलग तरह के नतीजे आते रहे हैं। एक हफ्ता पहले ही इस्राइल के बिहेवियरल न्यूरो साइंटिस्ट डाफना जोएल के नेतृत्व में हुई एक स्टडी की रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि महिलाओं और पुरुषों की दिमागी संरचना में कोई खास अंतर नहीं होता।
दरअसल, 19 वीं शताब्दी के मध्य तक वैज्ञानिक समाज में भी यह आम धारणा थी कि पुरुषों और महिलाओं की दिमागी बनावट में अंतर होता है। कई रिसर्चर्स दावा करते थे कि सिर्फ दिमाग देख कर वे बता सकते हैं कि वह पुरुष का है या महिला का। नई रिपोर्ट ऐसे दावों पर निर्णायक रोक लगाते हुए कहती है कि कम से कम दिमागी संरचना के मामले में महिला और पुरुष का विभाजन सही नहीं है।
लगता है कि महिला और पुरुष में से एक को दूसरे से बेहतर मानने, समझने या करार देने की इच्छा हमसे बहुत सारी भूलें करा जाती हैं। इसकी प्रतिक्रिया में चली दूसरी अतिवादी धारा दोनों को हर लिहाज से समान करार देती है। वैसे इस झमेले से बचने का इंतजाम हमारे पूर्वजों ने कर रखा है। उन्होंने स्त्री-पुरुष को एक-दूसरे का पूरक बताया है। मतलब यह कि एक का काम दूसरे के बिना चलने वाला नहीं। एक का दिमाग कमजोर भी होगा तो मजबूत दिमाग वाला दूसरा शख्स सब कुछ संभाल लेगा या लेगी।