शिंजो के स्वागत के लिए काशी बेकरार : सुरक्षा व्यवस्था सख्त

japani pm

लखनऊ। कभी न सोने वाली और मस्ती में जीने वाली काशी जापान के प्रधानमंत्री की अगवानी के जोश और सुरक्षा के मद्देनजर कैद हो गई है, शिंजो आबे के स्वागत में सड़के सन्नाटे में डूब गई है। गंगा किनारे का आठ किमी के इलाके में बाजार तो खुले पर खरीदार गायब है। कचौड़ी गली से लेकर चाय की अडिय़ों तक सूनापन है। टूरिस्ट भी बाहर नही निकल पा रहें है, दशाश्वमेघ घाट सुरक्षा के घेरे में है। शुक्रवार को रिहर्सल के लिए लगायी गई रोक सुरक्षा कारणों से शनिवार तक जारी रहेगा। डीएम वाराणसी राजमणि यादव ने कहा है कि स्कूल खुले रहेगें। लेकिन रास्ते बंद रहेगें तो स्कूल पहुंचेगें कैसे। लिंक रोड भी बंद है। गुलजार रहने वाला नदेसर, चौक और मैदग्रि में भी सन्नाटा है, ठंडई की दुकानों पर सन्नाटा पसरा है। भांग की दुकाने भी उदास है। सडक़ पर निकलने वालों को सुरक्षा के लिहाज से लगायी गई बैरिकेटिंग लोगों को परेशान कर रही है। इस तरह की रोकटोक वाराणसी के लोगों के लिए नया अनुभव है इसीलिए उन्हे ज्यादा बुरा लग रहा है। शुक्रवार को तीन बजे के बाद से शहर में कफ्र्यू जैसे हालात नजर आने लगे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है। वाराणसी में तीन बार सिलसिलेवार आतंकवादी धमाके हो चुके है। शहर में आईएसआई के स्लिपिंग सेल के नेटवर्क की मौजूदगी मानी जाती है।
15 सालों में चार बार आतंकवादी धमाके का शिकार हुई है काशी
काशी में पहली बार आतंकवादी धमाके हुई है। जिनमें कई लोगों की जानें गई है। पहली बार 2003 में दशाश्वमेघ घाट पर, दूसरी बार 7 मार्च 2006 को संकटमोचन मंदिर व कैंट स्टेशन पर, तीसरी बार 23 नवंबर 2007 को कचेहरी में तीन सीरियल ब्लास्ट और चौथी बार शीतलाघाट पर 2 दिसंबर 2010 को धमाके हुए है।
मणिकर्णिंका घाट पर नही होगा शव दाह
मणिकर्णिका घाट के श्मशान की आग कभी बुझती नही। बाढ़ के समय स्थान बदल जाता है। पर सुरक्षा कारणों से शनिवार को 9 बजे रात तक शवों को घाट तक ले जाना संभव नही होगा। मोझ की उम्मीद में बाहर से पहुंचने वाले शवों को इंतजार करना होगा। हालांकि हरिश्चंद घाट पर शव दाह का सिलसिला जारी रहेगा। बाहर से आने वाले शवों का भी हरश्चिंद घाट पर अंतिम संस्कार किया जा सकता है।
शास्त्रीय संगीत वल्र्ड हेरिटेज की सूची में
प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कहते थे। बनारस इसलिए है क्योंकि यहां बना रस रहता है। शास्त्रीय संगीत में बनारस घराना की अपनी अलग पहचान है। अब शास्त्रीय संगीत वल्र्ड हेरिटेज की सूची में शामिल होने जा रहा है। यूनेस्को ने स्वीकार कर लिया गया है। बनारस के लिए गौरवशाली साबित होने जा रहे अवसर के पीछे पीएम नरेन्द्र मोदी की इच्छा पर संस्कृति मंत्रलय की पहल मानी जा रही है।
हस्तशिल्प को मिलेगी जापान से मदद
जापान वराणसी के परंपरागत बुनकरों के कौशल विकास के लिए हर संभव मदद को तैयार है। रेशम के साथ सोने के धागों का हजारों साल पुरान हुनरअब नई तकनीकी से रूबरू होगा। जापान के वाणिज्यिक दूतावास के अधिकारियों ने मदद का भरोसा दिया है। बनारस के बुनकरों के स्किल डेवलपमेंट की पहल हथकरघा मंत्रालय ने की है। जापान दूतावास के अधिकारियों ने बुनकरों के परिवारों से मुलाकात कर उनकी जरूरतें समझी है।