लखनऊ। यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने प्रमुख सचिव आवास, परिवहन, गृह, नगर विकास एवं परिवहन आयुक्त सहित समस्त मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि प्रत्येक जनपद में परिवहन, पुलिस एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम गठित कर केन्द्रीय मोटरयान नियमावली के प्राविधानों के अंतर्गत पंजीयन के एक वर्ष के पश्चात प्रत्येक मोटरयान को बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना वाहनों के संचालन के विरुद्ध सघन अभियान चलाया जाये। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रदूषणकारी वाहनों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही के साथ-साथ उनकी पंजीयन पुस्तिका भी निलम्बित करने की विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाये।
मुख्य सचिव ने यह कड़े निर्देश आज परिपत्र भेजकर सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद में प्रदूषण की जांच हेतु निजी क्षेत्र में स्थापित प्रदूषण जांच केन्द्रों की गुणवत्ता की भी जांच विभाग द्वारा गठित समिति द्वारा करायी जाये और जांचोंपरान्त यदि इन प्रदूषण केन्द्रों में यदि अनियमित्ता पायी जाये, तो इनके लाइसेंस भी निरस्त कर दिये जायें। उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में ईपीसीए के निर्देशों के अधीन सार्वजनिक परिवहनयानों में सीएनजी ईंधन चलित वाहन संचालित हो रहे हैं, वहां आसपास के जनपदों में डीजल चलित वाहनों के प्रवेश पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाकर संचालित डीजल वाहनों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित करानी होगी।
श्री रंजन ने कहा कि ट्रैफिक जाम की समस्या के निदान हेतु शहर की यातायात व्यवस्था को प्रत्येक दशा में नियंत्रित रखा जाना सुनिश्चित कराने हेतु जाम लगने वाले स्थानों को चिन्हित कर आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि विभिन्न नगरों में चल रहे निर्माण कार्यों के क्षेत्र को ढककर निर्माण कार्य कराया जाये और यथावश्यकता यह सुनिश्चित कराया जाये कि अनावश्यक धूल पर्यावरण में व्याप्त न हो। उन्होंने कहा कि अपने-अपने जनपदों में वृक्षारोपण का कार्य विशेष तौर पर कराना सुनिश्चित किया जाये, ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। उन्होंने नगर निगमों को भी निर्देश दिये कि शहरों की सफाई व्यवस्था के उपरान्त सूखी पत्तियों को जलाये जाने की प्रक्रिया को सख्ती से रोका जाये। उन्होंने कहा कि प्रदूषणकारी ईंधन जैसे-कोयला, लकड़ी का बुरादा आदि को हतोत्साहित किया जाये एवं स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने हेतु जनसामान्य को अवश्य प्रेरित किया जाये। उन्होंने कहा कि वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने, औद्योगिकीकरण एवं निर्माण के कारण प्रदेश के विभिन्न शहरों एवं नगरों के पर्यावरण में पार्टीकुलेट मैटर-10 के स्तर में वृद्धि हुई है, जिसका दुष्प्रभाव नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है।