सुप्रीम हुई सख्त: एनएच के जरिये दिल्ली में प्रवेश न करे बाहरी वाहन

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नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रुख अपना लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यावसायिक वाहनों के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिन वाहनों का दिल्ली से संबंद्ध न हो वे एनएच-10, एनएच-2, एनएच-57 व एनएच-59 के जरिये दिल्ली में प्रवेश नहीं करें। सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पुरानी डीजल गाडिय़ों को बदलने के निर्देश दिए हैं।
महिंद्रा, टोयोटा और मर्सिडीज कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं ताकि ये सिद्ध हो सके कि डीजल से चलने वाली गाडिय़ां पेट्रोल आधारित गाडिय़ों से कम प्रदूषण फैलाती हैं। 2000 सीसी से ज्यादा क्षमता वाली डीजल गाडिय़ों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए हामी भर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दिल्ली से होकर गुजरने वाले व्यावसायिक ट्रकों को दूसरे हाइवे पर डाइवर्ट किया जाएगा। गौरतलब है कि डीजल वाहनों से ज्यादा प्रदूषण फैसला है। इस कड़ी में रोहतक की ओर से आने वाले ट्रक एनएच-10 पर टीकरी बार्डर पर डाइवर्ट होंगे। इसी तरह मथुरा की ओर से ट्रकों का एनएच-2 पर पलवल से डाइवर्जन होगा। वहीं, गाजियाबाद की तरफ से शाहदरा की ओर आने वाले ट्रकों को दिल्ली से पहले मोहन नगर से डायवर्ट किया जाएगा। नियमों का पालन कराने में उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारें मदद करेंगी। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने आदेश भी दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट एनएच-एक यानी पंजाब से और एनएच-8 यानी जयपुर की ओर से आने वाले ट्रकों को दिल्ली में नहीं घुसने के आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए हैं कि एनसीआर से बाहर बेची जाने वाली 10 साल पुरानी गाडिय़ों को एनओसी देने में हीला हवाली न किया जाए।
न्यायालय ने अपने आदेश में दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर लगने वाले पर्यावरण कर को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। ट्रकों पर लगने वाले पर्यावरण कर को 1300 से बढ़ाकर 2600 रुपए कर दिया गया है। जबकि छोटे वाणिज्यिक से 700 की बजाए अब 1400 रुपए वसूले जाएंगे। न्यायालय ने राजधानी में सभी टैक्सियों को सीएनजी से चलाए जाने का भी आदेश दिया है।