इतिहास में दर्ज हो जाएगी, देश की क्लासिक घड़ी एचएमटी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार एचएमटी की 3 यूनिट को बंद करेगी। इसमें एचएमटी वॉच, एचएमटी चिनार वॉच और एचएमटी बियरिंग शामिल है। कर्मचारियों को 2007 के वेतनमान के मुताबिक वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम ऑफर की गई है। सरकार के एक बयान के मुताबिक इन 3 बीमार हो चुकी यूनिट को 427.28 करोड़ की सहायता देकर बंद किया जाएगा।
सरकार ने ये फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी में लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। सीसीईए ने कर्मचारियों को 2007 के पे-स्केल के मुताबिक वीआरएस देने की सिफारिश भी की। कंपनी की चल-अचल संपत्ति को सरकारी नियमों के मुताबिक खत्म कर दिया जाएगा। कैबिनेट ने इससे पहले सैद्धांतिक तौर पर 5 सरकारी कंपनियों को बंद करने की मंजूरी दे दी थी।
इसमें तुंगभद्रा स्टील और हिंदुस्तान केबल भी शामिल है। इसके बाद वीआरएस की प्रक्रिया को दोबारा सीसीईए के सामने रखा गया। सीसीईए ने पिछले महीने तुंगभद्रा स्टील को बंद करने की मंजूरी दी। भारी उद्योग मंत्रालय के अंर्तगत 31 कंपनियां आती हैं जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, कंसलटेंसी और कॉन्ट्रैक्ट सर्विस वाली कंपनियां शामिल है।
90 के दशक तक आम लोगों के लिए हाथ घड़ी का मतलब केवल एचएमटी हुआ करता था। लेकिन पिछले 20-25 वर्षों से मानो यह नाम कहीं खो गया है। पचास वर्षों तक लोगों की कलाई पर सजने वाली यह घड़ी अब इतिहास में दर्ज होने जा रही है।
एचएमटी ने 1961 में देश में घडिय़ों का उत्पादन शुरू किया था। इसके लिए कंपनी ने जापानी की घड़ी निर्माता कंपनी सिटीजन से अनुबंध किया था। 1970 में एचएमटी ने सोना और विजय ब्रांड नाम के साथ क्वाट्र्ज घडिय़ों का निर्माण भी शुरू किया था।
एचएमटी की छवि देश की क्लासिक घड़ी निर्माता कंपनी की है। देश की कई पीढिय़ों ने एचएमटी की घडिय़ां पहनी हैं। इसलिए मौजूदा पीढ़ी से पहले के लोग इस घड़ी को याद जरूर करेंगे।