डा.अंबेडकर के नाम के सहारे उप्र में दलितों को लुभाने की होड़

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लखनऊ । उप्र के विधानसभा चुनाव में महज एक साल रह गए है। बसपा दलित मतों के सहारे सपा को करारी चुनौती देने की तैयारी में है। एक ऐसे समय जब भाजपा के नेता व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अंबेडकर महासभा परिसर में डॉ. अंबेडकर के अस्थिकलश पर पुष्पांजलि अर्पित करने आ रहे हैं, तो सपा को भी डा.अंबेडकर और डा. राम मनोहर लोहिया के रिश्तों की याद आ रही है। अखिलेश सरकार ने सीजी सिटी परिसर में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्मारक बनाने के लिए अंबेडकर महासभा को भूमि देने का एलान किया है। अब पार्टी कह रही है डा. अंबेडकर व डा. राम नोहर लोहिया की सोच में समानता थी।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने एक समय समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर राजनीति को नई दिशा के लिए वार्ता की थी। आज भी समाजवादी अम्बेडकर को परम विद्वान, समाज सुधारक तथा संविधान निर्माता के रूप में सम्मान करते हैं।
चौधरी ने बसपा अध्यक्ष मायावती का नाम लिए बिना आरोप लगाया है कि डा.अम्बेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों ने दलित समाज के उत्थान के लिए कुछ नही किया। बाबा साहेब का नाम लेकर या उनकी प्रतिमांए लगाकर बसपा के शासन काल में सर्वाधिक शोषण दलितों का ही हुआ था। बसपा अध्यक्ष अपने को दलितों की बेटी बताते हुए थकती नही पर उनका आचरण एवं व्यवहार पूरी तरह ठीक विपरीत दिशा में है। उनकों दलितों का अपनी कोठी की चैखट तक आना भी गंवारा नही है।
चौधरी ने कहा कि तथ्य यह है कि जब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में प्रदेश में सपा सरकार बनी तो उन्होंने विधान सभा मार्ग का नाम डा. अम्बेडकर के नाम पर रखा। बजट में उन्होंने 10 हजार अम्बेडकर गाँवों की व्यवस्था की। विधानसभा के सामने लखनऊ में अम्बेडकर महासभा के लिए एक बंगला दिया। अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ में डा. अम्बेडकर का भव्य स्मारक बनाए जाने की घोषणा की है। नगरीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति बहुल मलिन बस्तियों के विकास हेतु अलग से बजट में प्रावधान किया गया है। सपा सरकार चाहती है कि दलितों, वंचितो के चेहरे पर भी मुस्कान आए। गौरतलब है कि उप्र में 22 प्रतिशत दलित मतदाता है। प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में 85 सीटें सुरक्षित है। 2007 में बसपा ने सुरक्षित सीटों में 61 सीटें जीती थी। जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 20 सीटें मिलीं थी।