राजफाश: नेहरू ने कहा, नेताजी वॉर क्रिमिनल

netaji

नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू की इंग्लैंड के तब के पीएम क्लीमेंट एटली को लिखी वो चिट्ठी भी है, जिसमें नेहरू ने बोस को वॉर क्रिमिनल कहा था। ये चि_ियां नेहरू ने 27 दिसंबर, 1945 को लिखी थीं। लेकिन इसके नीचे नेहरू का सिर्फ नाम लिखा है। उनका सिग्नेचर नहीं है। नेहरू ने एटली को लिखा था कि मुझे अपने भरोसेमंद सूत्र से पता चला है कि सुभाष चंद्र बोस जो आपके वॉर क्रिमिनल हैं, उन्हें स्टालिन ने रूसी सीमा में दाखिल होने की मंजूरी दे दी है। यह रूस द्वारा किया गया धोखा है, क्योंकि रूस ब्रिटिश-अमेरिकन अलायन्स का समर्थक है। रूस को ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप इस पर ध्यान दें और जो सही लगे वो एक्शन लें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर उनसे जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक कर दीं। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘आज हम सभी भारतीयों के लिए एक खास दिन है। नेताजी से जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू हो जाएगा। इसके लिए मैं खुद भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जाऊंगा।’ एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। उनकी बहादुरी और देशभक्ति ने उन्हें भारतीयों की सभी पीढिय़ों में लोकप्रिय बनाया है।’
इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु से जुड़े विवाद को समझने में मदद मिलेगी। सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी सीक्रेट फाइलें शनिवार को पब्लिक कर दी गईं। बोस फैमिली की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी ने इन्हें जारी किया। होम मिनिस्ट्री की टॉप सीक्रेट रही 1976 की फाइल ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रपोजल ऑफ एम्बेसी’ भी सामने आई। इसमें आईबी से जुड़ी नोटिंग्स हैं। इसके 205 पन्नों में कहा गया है कि नेताजी को रूस ब्रिटेन की इंटेलिजेंस एजेंसी एमआई-6 का एजेंट मानता था। बता दें कि पहली किश्त में 100 फाइलें पब्लिक की गईं। इसके बाद हर महीने 25-25 फाइलों को पब्लिक किया जाएगा। पीएम ने नेताजी पर एक पोर्टल भी लॉन्च किया है।
प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे।बाद में पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे। उन्होंने बोस के परिवार के सदस्यों से भी बात की।इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनसे जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू होगा। सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े दस्तावेजों के खुलासे का फैसला किया है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने इन दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया है। इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘इन दस्तावेजों के खुलासे से जनता की दीर्घकालिक मांगें पूरी होंगी और शोधकर्ताओं को भविष्य में नेताजी पर शोध में मदद मिलेगी।’ पीएम मोदी ने नेताजी के रिश्तेदारों से 23 जनवरी को नेताजी से जुड़ी फाइलों को डिक्लासिफाइड किए जाने का वादा किया था। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 64 फ़ाइलों को सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद केंद्र के पास रखी फ़ाइलों को भी सार्वजनिक करने की मांग तेज हो गई थी। यही नहीं इससे नेताजी की मौत की सच्चाई देश के सामने आ सकती है। राष्ट्रीय अभिलेखागार को 1997 में रक्षा मंत्रालय की ओर से आजाद हिंद फौज से संबंधित 990 दस्तावेज प्राप्त हुए थे, जिसकी स्थापना नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ की थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और कभी महात्मा गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक रहे बोस के बारे में बताया जाता है कि उनका निधन 1945 में फॉरमोसा (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था, जो अब भी एक रहस्य है। बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था।