
वर्तमान सरकार द्वारा जैसा अतिपिछड़ों का हक मारने का काम विगत किसी भी सरकार ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग का वर्गीय विभाजन किये बिना अतिपिछड़ों, अत्यन्त पिछड़ों, विमुक्त जातियों व पसमान्दा समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा।
श्री निषाद ने कहा कि इन्दिरा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय ने भी पिछड़े वर्ग के वर्गीय विभाजन को उचित करार दिया था। महाराज, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा आदि राज्यों में पिछड़ी जातियों का दो या दो से अधिक श्रेणियों में वर्गीय विभाजन कर अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का वर्गीय विभाजन न होने के कारण ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दो तीन जातियां ही उठा रही है तथा श्रेणी अन्य जातियां सामाजिक अन्याय का शिकार हो रही है। 3 अक्टूबर, 2013 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्ड पीठ ने अपने अन्तरिम निर्णय में समुचित प्रतिनिधित्व पा चुकी जातियों के अलावा आरक्षण के लाभ से वंचित जातियों को विशेष आरक्षण दिये जाने का निर्णय दिया था, जिसके खिलाफ सपा सरकार ने एसएलपी दायकर कर स्थगित करा दिया। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर फार्मूला या एलआर नायक की सिफारिश के अनुसार पिछड़ों के विभाजन की मांग किया है।