लखनऊ फरवरी। विश्व हिन्दू परिषद ने 22 अप्रैल से शुरू होने वाली अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा की तैयारी शुरू कर दिया है। वह इस परंपरागत परिक्रमा को व्यापक रूप देने में लगी है। 84 कोसी परिक्रमा संतो धर्माचार्यो के नेतृत्व में राम भक्तों को साथ लेकर शुरू करेगी। विहिप इस बार कार्यक्रम को और अधिक व्यापक स्वरूप देने के लिये बकायदा संगठन मे अलग से एक आयाम बनाकर सुरेन्द्र सिंह को प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है विहिप के क्षेत्रिय संगठन मंत्री अम्बरीष सिंह ने कहा कि परिक्रमा जैसे धार्मिक आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और परंपराओं को अक्षुण रखे हुए हैं। अयोध्या की चौरासी कोषी की परिक्रमा से जहां समाज में धार्मिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा भक्ति का संचार होता आ रहा वही मार्ग मे पडऩे वाले महत्वपूर्ण एतिहासिक व पौराणिक स्थलों के संबंधों मे सम्पूर्ण राष्ट्र को जानकारी प्राप्त होगी।
सिंह कारसेवक पुरम अयोध्या मे 22 अप्रैल से आयोजित होने वाली चौरासीकोषी परिक्रमा की तैयारी बैठक को संबोधित कर रहे थे। विहिप के वरिष्ठ नेता पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा भगवान राम से जुड़ी हुई धार्मिक परम्पराओं को सुरक्षित और संरक्षित करना हम सभी का उत्तरदायित्व है। अयोध्या की पहचान भगवान राम के साथ ही संत धर्माचार्यो से भी जुड़ी हुई है। चौरासी कोषी परिक्रमा कोई नई परंपरा नहीं है। यह पूर्व काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा की जा रही है बस हमें इसे राष्ट्रीय फलक पर पहचान देने के लिए प्रयत्न करने होंगे।
विहिप का मकसद है कि जिस प्रकार अयोध्या की पंचकोसी तथा चौदहकोसी परिक्रमा मे लाखों श्रद्धालु उमड़ कर अपनी श्रद्धा-भक्ति ईश्वर के प्रति निवेदित करते है, ठीक उसी प्रकार अयोध्या के चौरासी की परिक्रमा में देश भर के तीर्थ यात्री शामिल हों। इससे परिक्रमा मार्ग का विकास और व्यापार मे वृद्धि तो होगी ही साथ ही पुरातन धार्मिक केंद्रो को संरक्षण भी मिलेगा जो वर्तमान और भविष्य की पीढिय़ों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा। गौरतलब है कि 2012 में 84 कोसी परिक्रमा को प्रदेश सरकार ने रोक लगा दी थी।
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