स्वस्थता के लिये जरूरी है हंसना

lalit garg

ललित गर्ग। आज का जीवन मशीन की तरह हो गया है। अधिक से अधिक पाने की होड़ में मनुष्य न तो स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाता और न ही फुर्सत के क्षणों में कुछ आमोद-प्रमोद के पल निकाल पाता। तनाव भरी इस जिंदगी में मानो खुशियों के दिन दुर्लभ हो गये हैं! कई चेहरों को देखकर ऐसा लगता है कि इनके चेहरों पर हंसी जैसे कई सालों में कुछ पलों के लिये आती होगी या फिर इन्होंने न हंसने की कसम खा रखी होगी। लोगों के चेहरे से खिलखिलाती हंसी तो जैसे गायब ही हो गयी है, जबकि हंसना जीवन के लिये बहुत जरूरी है। सच ही कहा है कि हंसमुखी सदासुखी। चार्ली चेपलिन ने कहा भी है कि मेरे जीवन में कईं कठिनाइयाँ आई हैं, मगर मेरे होठों को कभी भी उसकी जानकारी नहीं थी क्योंकि वह हमेशा हंसते ही रहते हैं।
आज के समाज की विडम्बना है कि इसमें हंसी पर जैसे पाबंदी लगी है। दु:ख तो इस दृश्य को देखकर होता है जब समाज में ऐसे कई लोग यहां-वहां देखने को मिल जाते हैं जो न तो स्वयं हंसते हैं और न ही दूसरों को हंसता हुआ देख प्रसन्न होते हैं। सही मायने में देखे तो वही लोग हंसते हुए दिखाई देंगे जिनके मन में किसी प्रकार का कपट नहीं होता है और जिनकी नियत साफ होती है। देखा जाए तो हंसना मनुष्य के उन प्रमुख गुणों में से एक है जिन्हें सहज प्राप्त किया जा सकता है पर इंसान उसे आत्मसात नहीं कर पाता।
किसी ने सच ही कहा है सौ रोगों की दवा है हंसी। आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि हंसना स्वस्थ शरीर की पहचान है तथा मन की प्रसन्नता के लिए अनिवार्य भी है। इंसान चाहे किसी भी प्रकार की परेशानी से घिरा हो, यदि कुछ देर के लिए जी भर कर हंस लें तो उसका न केवल मानसिक तनाव दूर होगा बल्कि मन तथा शरीर का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। खिलखिला कर हंसने से न केवल स्वास्थ्य ठीक रहता है बल्कि मानव की पाचन क्रिया भी सही ढंग से चलती है।
खाने के समय हंसी से बढ़कर कोई चटनी नहीं है, हंसने से भोजन शीघ्र पचता है। जो व्यक्ति भोजन करते समय तनाव, परेशानी और कुंठा में रहते हैं उनकी आधी भूख मर जाती है और पाचनक्रिया ठप्प हो जाती है। हंसते हुए भोजन करने से भोजन करने वाले की जठराग्नि प्रदीप्त होती है तथा रस, रक्त, मांस, मज्जा, चर्बी अस्थि तथा वीर्य की वृद्धि होती है।
आजकल अमेरिका के स्वास्थ्य केन्द्रों में हंसी और स्वास्थ्य संबंध का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। लास एंजेल्स के एक अस्पताल में जब मरीज को छुट्टी दी जाती है तो उसे यह निर्देश दिया जाता है कि वह दिन में कम से कम 15 मिनट अवश्य हंसे। केलीफोर्निया के एक वृद्धघर में नियमित रूप से हास्य को औषधि के रूप में देने के लिए हास्य पुस्तकें, हास्य कविताएं, कार्टून और हास्य चलचित्र दिखाए जाते हैं। आज हमारे देश में भी सुबह-सुबह योग के नाम पर पार्कों में लोगों के ठहाके सुनने को मिलते हैं।
दरअसल हंसना अपने आप में ही एक व्यायाम है। हंसने की क्रिया में मुंह, गर्दन, छाती तथा पेट की मांसपेशियों को भाग लेना पड़ता है। फलस्वरूप हंसने से मानव शरीर के अंग और भी सुदृढ़ तथा क्रियाशील बनते हैं। इसी वजह से हंसमुख तथा मिलनसार व्यक्तियों के गाल गोल सुंदर तथा चमकीले हो जाते हैं। हंसने से फेफड़े के रोग नहीं होते। शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ जाता, साथ ही प्रदूषित वायु बाहर निकल जाती है। भरपूर हंसी से आपके चेहरे के स्नायुओं, श्वास नलियों और पेट का बेहतरीन व्यायाम हो जाता है। हंसने से दिल का धड़कन और रक्तचाप क्षणिक रूप से बढ़ता है, सांस तेज और गहरी होती है और खून में प्राण वायु दौडऩे लगता है। एक ठहाकेदार हंसी आपकी उतनी ही कैलोरी जला सकती है जितना कि तेज चलना। हंसी के दौरान आपका मस्तिष्क इतने हार्मोंस छोड़ता है कि उससे आपकी सजगता शिखर पर आ जाती है।
मुंबई का ‘लाफर्स क्लब इंटरनेशनल दुनिया का एक मात्र ऐसा क्लब है जिसमें व्यायाम के नाम पर न तो जिम्नाजियम है न कोई साइकलिंग आदि दूसरे व्यायाम के उपकरण हैं। बस इस क्लब के सदस्य सुबह सबसे पहले अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर पहले मुस्कुराते हुए ही-ही-ही करने लगते हैं, थोड़ी ही देर बाद ही-ही-ही की आवाज ठहाके में बदल जाती है। स्पष्टत: हर सुबह दुनियां का स्वागत करने का इससे उत्तम तरीका और क्या हो सकता है।
जिंदगी बहुत छोटी है, इसे आप चाहें तो हंसकर बितायें या रोकर। बेहतर तो यह होगा कि जिन्दगी साहस के साथ हंसकर बिताई जाये। संकट की घड़ी में भी मुस्कुराते रहिए। यही जीवन का सार है।
हंसने की कला को अपनाने का सबसे अच्छा उपाय प्रेक्षाध्यान पद्धति में यह बताया गया है कि जब कभी अकेले बैठे हो, हंसी की कोई घटना याद करके हंसने का प्रयास कीजिए तथा खूब जी खोल कर हंसिए। छोटे-छोटे बच्चों के साथ हंसी मजाक करना चाहिए। सभी व्यक्तियों को दिन में एक दो बार दिल खोल कर खिलखिलाकर जरूर हंसना चाहिए।
हंसना हमें मुफ्त में मिला है। शायद इसलिए हमें उसकी कद्र का पता नहीं है। अब तो डॉक्टर भी कहते हैं कि आप सातों दिन तक बिल्कुल नहीं हंसे तो कमजोर हो जायेंगे। हंसना हमारे मनुष्य होने का सबूत है क्योंकि मनुष्य अकेला ऐसा प्राणी है जो हंस सकता है। जब भी संकट का समय होता है तो सारे पशुओं की दो ही गतिविधि होती हैं- भागना या लडऩा। सिर्फ मनुष्य है, जिसकी इन दोनों से अलग तीसरी गतिविधि हो सकती है और वह है हंसना। तो क्यों न हंसी का पूरा-पूरा उपयोग किया जाए? पब्लियस साइरस ने हंसने की जरूरत को इस तरह व्यक्त किया है कि अगर हमारे भीतर उत्साह का संचार हो जाए तो कठिन से कठिन काम भी आसान बन जाता है। इसके साथ से आप अकेले होकर भी अकेले नहीं रहते। यह सच्चा साथ है।
जितने भी महापुरुष हुए है, चाहे वह गांधी हो, ओशो हो, श्री श्री रविशंकर हो, आचार्य महाप्रज्ञ हो-सभी ने हास्य को असाधारण महत्व दिया है। उनके प्रवचन चुटकुलों और लतीफों से सराबोर होते हैं। उनका यह वक्तव्य इन डॉक्टरों की खोज का समर्थन करता है कि ‘हास्य में अद्भुत क्षमता है- स्वास्थ्य प्रदान करने और ध्यान में डुबाने की भी। हंसी तुम्हारे दिलो-दिमाग की गहराइयों में प्रवेश कर जाती है। हंसने वाले लोग आत्महत्या नहीं करते, उन्हें दिल के दौरे नहीं पड़ते, वे अनजाने ही मौन के जगत को जान लेते हैं। क्योंकि हंसी के थमते ही अचानक मन भी थम जाता है, स्तब्ध रह जाता है। और जैसे-जैसे हंसी गहरी जाने लगती है, उतनी ही गहन शांति भी छाने लगती है। हंसी तुम्हें निर्मल कर जाती है। रूढिय़ों व अतीत के कूड़े-कचरे को झाड़कर एक नई जीवन-दृष्टि देती है, तुम्हें ज्यादा जीवंत, ऊर्जावान तथा सृजनशील बनाती है। चिकित्सा विज्ञान तो कहता भी है कि हंसी, मनुष्य को प्रकृति से भेंट में मिली सर्वाधिक गहरी औषधि है। यदि बीमारी के दौरान हंस सको तो जल्दी स्वस्थ हो जाओगे और अगर स्वस्थ रहकर भी नहीं हंस पाए तो शीघ्र ही स्वास्थ्य खोने लगोगे और बीमारी घेर लेगी। लेकिन हंसना हो तो उसके लिए सेंस ऑफ ह्यूमर या विनोद बुद्धि का होना बहुत जरूरी है। नहीं तो हंसना दूसरों की खामियों पर हंसने तक सीमित रह जाएगा। दिल खोलकर वहीं हंस सकता है जो अपने आप पर हंस सकता है।
तनाव, दर्द और झगड़े आदि को खत्म करने की शक्ति हंसी से ज्यादा किसी में नहीं है। आपके दिमाग और शरीर को कंट्रोल करने का जो काम हंसी कर सकती है, वह दुनिया की कोई दवा नहीं कर सकती। विशेषज्ञों के अनुसार हंसना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे आप सामाजिक बने रहते हैं और लोगों के साथ जुड़े रहने पर आपको तनाव या अवसाद जैसी समस्या नहीं सताती हैं। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।
हंसी मजाक से आप अपने दिल व दिमाग के बोझ को कम करते हैं। खुश रहने से आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आप इसे अपने इर्द-गिर्द भी फैलाते हैं। आप जो काम करते हैं, उस पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं। हंसने से आपकी बॉडी रिलेक्स होती है। इसके अलावा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हंसते रहने से आप ज्यादा फिट व हैल्दी रह सकते हैं। कई शोधों में यह पाया गया है कि स्पोंडेलाइटिस या कमर के दर्द जैसे असहनीय दर्द में आराम के लिए हंसना एक प्रभावी विकल्प है। डॉक्टर लाफिंग थैरेपी की मदद से इन रोगियों को आराम पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
कहा जाता है छोटे बच्चे-शिशु की हंसी में तो भगवान का वास होता है और भगवान ही उसे होंठ पर मुस्कान देते हैं। हंसता हुआ बालक देखकर हर कोई खुश हो जाता है और माहौल में व्याप्त तनाव दूर हो जाता है। क्रोध को काफूर करने में हंसी एक अमोघ शस्त्र है। एक वाहन के पीछे लिखा हुआ था कि हंस मत पगली प्यार हो जाएगा। इस जुमले पर गौर करें तो सत्य है कि हंसना एक ऐसी कला है जो दो हृदयों (दिलों को) बिना किसी तार के जोड़ देती है।
हंसी की प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिये जगह-जगह युद्धस्तर पर उपक्रम होने चाहिए। इस काम को टी.वी. पर लॉफ्टर शो के माध्यम से प्रभावी ढंग से किया जा रहा है जिससे गुमशुम जनता में ऊर्जा का संचार हो रहा हैं। ये शो रक्त संचार को बढ़ा रहे हैं।
हंसिए.. खुलकर … और खुलकर। हंसिए जब भी मौका मिले तब हंसिए। हंसने के मौके भी तलाशिए। हंसी आपको स्वस्थ रखेगी। जिंदगी के दिन भी बढ़ाएगी। हंसने से रक्त चाप ठीक रहने के साथ तनाव से छुटकारा मिलता हैं। तब हंसने में कोताही क्यूं करें। बेन्जामिन फ्रेंकलिन ने कहा भी है कि हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु।