मोदी के मन की बात: बच्चों के एक्जाम से चिंतित हूं

mann-ki-baat pm modiनई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने आज देश से अपने मन की बात में बच्चों की परीक्षाओं को लेकर बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में कहा कि प्यारे देशवासियो,नमस्कार! आप मन की बात सुनते होंगे,पर दिमाग इस बात पर लगा होगा कि बच्चों के एक्जाम शुरू हो रहे हैं। आपको बच्चों के एक्जाम की जितनी चिंता है, मुझे भी उतनी ही चिंता है। अगर एक्जाम को देखने का तौर-तरीका बदल दें,तो हम चिंतामुक्त हो सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि आज मन की बात में विशेष रूप से माँ-बाप के साथ, परीक्षार्थियों के साथ और उनके शिक्षकों के साथ बातें करना चाहता हूं। युवाओं को जिनके प्रति नाज़ है, भारतरत्न सचिन तेंदुलकर, उन्होंने जो संदेश भेजा है,वह आपको बताना चाहता हूं। आप ख़ुद अपने लिए कुछ टारगेट सेट कीजिये, किसी और की उम्मीद के दबाव में मत आइएगा।
पीएम ने सचिन का एक ऑडियो सुनाया जिसमें वे कह रहे हैं कि पिछले 24 साल में कई सारे कठिन दौर आये और कई बार अच्छे दौर आये, मगर लोगों की उम्मीद हमेशा रहते थे। मेरा फोकस रहता था गेंद पर और टारगेट पर। अपने आप धीरे-धीरे सारे गोल पूरे होते गए। आपकी सोच सकारात्मक होनी बहुत ज़रूरी है। सकारात्मक सोच को सकारात्मक परिणाम फॉलो करते हैं।
पीएम ने कहा कि आप खुद से अपने लक्ष्य को तय करें, खुद ही अपने टारगेट तय करें- मुक्त मन से, मुक्त सोच से, मुक्त सामथ्र्य से। हम दूसरों से स्पद्र्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पद्र्धा क्यों न करें। परीक्षा को अंकों का खेल मत मानिए। कहां पहुंचे, कितना पहुंचे। उस हिसाब-किताब में मत फंसे रहिए। जीवन को तो किसी महान उद्देश्य के साथ जोडऩा चाहिए। एक सपनों को ले कर के चलना चाहिए, संकल्पबद्ध होना चाहिए। परीक्षाएं, तो हम सही जा रहे हैं कि नहीं, उसका हिसाब-किताब करती हैं; गति ठीक है कि नहीं है, उसका हिसाब-किताब करती हैं।
कुछ सुझाव का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा कि श्रेय गुप्ता ने बल दिया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। छात्र पढ़ाई के साथ-साथ हेल्थ का भी ध्यान रखें। प्रभाकर रेड्डी जी आग्रह किया हैं, समय पर सोना चाहिए, सुबह जल्दी उठकर रिवीजन करना चाहिए. प्रभाकर रेड्डी जी की बात मैं कहने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि मैं सोने के संबंध में थोड़ा उदासीन हूं, मैं कम सोता हूं। निर्धारित सोने का समय, गहरी नींद – ये उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि आपकी दिन भर की और गतिविधियाँ और ये संभव है। लोगों की आदत होती है,सोने से पहले लम्बी-लम्बी टेलीफ़ोन पर बातें करना. उसके बाद वही विचार चलते रहते हैं,कहाँ से नींद आएगी?