अवसर व समाधान को गूंथता बजट

pushpendraपुष्पेंद्र कुमार। बजट एक व्यापक दस्तावेज है जिसमें अनेकों प्रकार की व्यवस्थाएं और
घोषणाएं होती हैं लेकिन आम बजट 2016-17 को वित्तीय अनुशासन के मानकों का
पालन करने और गांवों की मौलिक समस्या के समाधानों को एकसूत्रित करने वाला
बजट है। सरकार ने लोकप्रियता वाली घोषणाओं से बजटीय बोझ बढ़ाने के
अदूरदर्शी, लेकिन आसान विकल्प की जगह स्थायित्व और सदृढ़ीकरण पर बल दिया।
याद कीजिए कि साल 2009-11 के दौरान यूपीए सरकार द्वारा 2013-14 के सालों
में वित्तीय अनुशासन को तोडऩे का परिणाम था कि बाद के दो वर्षों में
संसाधनों पर दबाव और निवेशकों में अविश्वास को जन्म दिया। वेतन आयोग की
सिफारिशें, वैश्विक मंदी और निर्यात की सुस्ती, लगातार दो साल सूखे के
कारण ग्रामीण •ाारत और खेती में संकट के साथ घरेलू मांग व नए रोजगार पैदा
करने की चुनौतियों के बीच वित्तीय अनुशासन का पालन करना कठिन चुनौती है।
हालांकि ‘सूटबूट की सरकारÓ का आरोप लगाने वाले सियासी विपक्ष ने बजट
प्रस्तावों को इमेज करेक्शन बताया है लेकिन बीते सालों में जनधन योजना,
बीमा योजनाएं और एलपीजी सब्सिडी का सफलता आर्थिक समावेशीकरण की दिशा में
ही रही है।
अर्थव्यवस्था में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा खासा अहम है लेकिन
कृषि पर दबाव से विस्थापित हो रही आबादी को दूसरे क्षेत्रों में आजीविका
उपलब्ध कराने की चुनौती बड़ी है। लेकिन समस्या यह है कि पर्याप्त मांग
नहीं होने के कारण निजी क्षेत्र निवेश को लेकर दुविधा में हैं। निजी
क्षेत्र आर्थिक सुधार के कई प्रस्तावों के अलावा रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स
को लेकर •ाी चिंतित है। हालांकि वोडाफोन और केयन्र्स मामले में
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का मामला आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में है लेकिन इस
बजट में एकल विवाद समाधान योजना अच्छी पहल है। यह पहली बार है कि •ाारत
के बजट में नई योजनों को सनसेट क्लाउज के साथ प्रस्तुत किया गया है जिसका
मतलब है कि नई योजनाओं के लक्ष्यों को पूरा करने की समयसीमा होगी और उनकी
निगरानी की जाएगी। सैकड़ों योजनाओं को ईमानदारी और समय से पूरा न करने की
लापरवाही के कारण समाज और अर्थव्यवस्था •ाारी नुकसान उठाती है।

पेश बजट को ग्रामीण क्षेत्र में •ाारी निवेश के लिए महत्वपूर्ण माना जा
रहा है। अगले पांच सालों में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 10 हजार से अधिक
नगर पंचायतों को आधार•ाूत अवसंरचना के विकास के लिए कुल 2.87 लाख करोड़
रुपए के अ•ाूतपूर्व आवंटन से ग्रामीण क्षेत्रों में ढॉचागत विकास, आय और
रोजगार के अवसर तैयार होंगे। सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में दोबारा
•ारोसा जताया है, लेकिन आवंटन का पारदर्शी, उपयोगी और टिकाऊ निर्माण में
प्रयोग कराना चुनौती है। सड़क और रेल के अवसंरचनागत विकास में कुल 2.21
लाख करोड़ रुपए का आवंटन उस रणनीति को बताता है कि यदि वैश्विक बाजार में
निर्यात और आय हासिल करने के अवसर नहीं है तो घरेलू मोर्चे पर ढॉचागत
विकास में पूंजीगत निवेश किया जाए जो रोजगार, मांग और सक्षमता तीनों
हासिल करने मेंं सक्षम होंगे। सरकार के बजट प्रस्तावों में कृषि क्षेत्र
और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए आवंटन में खासी बढ़ोतरी की गई है
लेकिन सवाल उठे हैं कि मौजूदा हालात में अगले पांच सालों में किसानों की
आय को दोगुना करना एक तरफ अपर्याप्त, तो दूसरी ओर असं•ाव •ाी है।
मुद्रास्फीति के साथ समायोजित करते हुए यदि इस लक्ष्य को 60-80 फीसदी तक
•ाी हासिल कर पाना सं•ाव हुआ तो •ाी यह उपलब्धि होगी लेकिन क्या सं•ाव
है?

कांगे्रस ने किसानों के ऋणमाफी को नजरअंदाज करने का मुद्दा उठाया है
लेकिन सवाल है कि पिछली ऋणमाफी के महज 6-7 सालों में ही दोबारा उ•ार रही
इस चिंता का समाधान ऋण माफी ही क्यों है? बजट ने कृषि आय को बढ़ाने के लिए
एमएसपी जैसे ‘प्रोटेक्शनिस्टÓ मैकेनिज्म से इतर ‘प्रोडक्टिव मैकेनिज्मÓ
को एकसूत्रित किया है। पूर्व घोषित फसल बीमा योजना से अलग बजट में
प्रस्तावित पांच लाख एकड़ में जैविक खेती का विस्तार और पीएम ग्राम सिंचाई
योजना से सिंचाई के विस्तार से कृषि की अनिश्चितता और लागत में कमी आने
के साथ उत्पादकता बढ़ेगी। •ाारतीय कृषि उत्पादों के फूड प्रोसेसिंग
कारोबार में सौ प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी का प्रस्ताव है जिससे उत्पादित
उपज की बेहतर कीमत और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर •ाी तैयार
होंगे। इंटरनेट आधारित राष्ट्रीय एग्रीकल्चर मार्केट प्लेटफार्म के पायलट
प्रोजेक्ट की सफलता के बाद देश•ार की मंडियों को एकीकृत डिजीटल मार्केट
में बदलने की तैयार है। इसे ग्रामीण •ाारत में डिजीटल साक्षरता मिशन के
साथ मिलाकर देखें तो हमारे किसानों को ला•ा हासिल होगा। जैविक खेती,
सिंचाई, फूड प्रोसेसिंग, डिजीटल मार्केट के चार आयामों को यदि फसल बीमा
की नई योजना और ग्रामीण व कमजोर तबकों के लिए इस बजट से शुरू हो रही नई
स्वास्थ्य बीमा योजना, पीपीपी मॉडल पर शुरू होने वाले नेशनल डायलिसिस
सर्विस प्रोग्राम और जनऔषधी कार्यक्रम को जोड़ दे ंतो ग्रामीण आबादी और
किसानों के पास अतिरिक्त आय और कुछ बचत की सं•ाावना बनने लगेगी। उर्वरक
सब्सिडी में कमी को सॉयल हेल्थ कार्ड, जैविक खेती में विस्तार और उर्वरक
सब्सिडी के डीबीटी योजना के साथ समझने की जरूरत है।

प्रत्यक्ष कर के मामले में पांच लाख रुपए तक वार्षिक आय वालों आम लोगों
को सालाना 6,600 रुपए की नई टैक्स रिबेट मिली है। हां, पेंशन फंड से धन
की निकासी पर टैक्स को लेकर जाहिर की गई चिंताओं पर सरकार के स्पष्टीकरण
से पता चलता है कि 1 अप्रैल 2016 के बाद, इस तिथि से पूर्व नहीं, ईपीएफ
में जमा रकम पर अर्जित ब्याज के 60 प्रतिशत हिस्से पर आयकर स्लैब के
अनुरूप टैक्स लगेगा। लेकिन ईपीएफ की निकासी में ब्याज पर टैक्स दोहरे
कराधान जैसा है। ईपीएफ के 3.70 करोड़ खाताधारकों में से 3.60 करोड़
खाताधारकों पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा लेकिन सरकार इसपर पुनर्विचार
कर सकती है। लगता है कि सरकार की मंशा मार्केटलिंक्ड एनपीएस को
प्रोत्साहित करने की है। दूसरी चिंता सरकारी बैंकों को उनके 3.50 लाख
करोड़ रुपए से अधिक का फंस चुके बुरे कर्जों से निकालने की है। बेशक यह
आपदा मौजूदा सरकार की देन नहीं हो लेकिन बैंकों के पूंजीगत सेहत को
दुरूस्त करने और बेसिल-3 मानकों को पूरा करने को बोझ वर्तमान सरकार पर
होगा। इस मद में चालू वित्तवर्ष और 2016-17 के लिए प्रत्येक साल के मद
में 25,000 रुपए का प्रावधान और बाद के दो वर्षों में 10-10 हजार करोड़
रुपए दिया जाना अपर्याप्त है। सरकार के सामने अहम चुनौती वैश्विक मंदी के
हालात में अप्रत्यक्ष करों की वसूली में बढ़ोतरी, 56,000 करोड़ रुपए के
विनिवेश और स्पेक्ट्रम आवंटन से लग•ाग 2.4 लाख करोड़ रुपए का इंतजाम करने
की है।