होसबोले का होश उड़ा देगा उप्र का जातिगत सामाजिक समीकरण

utter paradeshकर्मेन्द्र सिंह गौर, राजनीतिक समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार।–उत्तर प्रदेश के नेतृत्व के मुद्दे पर लम्बी कवायद के बाद भी भाजपा नेतृत्व अभी तक एक अदद प्रदेश अध्यक्ष की खोद कर पाने में अभी तक विफल साबित हो रहा है। जहां सपा व बसपा अपनी-अपनी चुनावी गणित बिठाने के काम में तेजी से जुटे हुए है और अधिकांश प्रत्याशियों का निर्णय भी हो चुका है और भाजपा अभी तक प्रदेश अध्यक्ष का नाम भी घोषित नहीं कर पायी है। जनवरी महीने में भी धर्म पाल सिंह के ताजपोशी का निर्णय लिया जा चुका था। परन्तु विश्व हिन्दू परिषद व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काम अड़ाने से अध्यक्ष के नाम की घोषणा अटक गयी और अभी तक इसका निर्णय नहीं हो पाया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के साथ-साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही शिक्षा प्राप्त विश्व हिन्दू परिषद पृष्ठ भूमि के अरविन्द मेनन को उत्तर प्रदेश के मिशन-2017 की सफलता के काम के लिए प्रदेश संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरण में अतिपिछड़ों व दलितों की बड़ी संख्या को देखते हुए कयास यह लगाया जा रहा था कि भाजपा मिशन-2017 के लिए किसी पिछड़े या अति दलित को आगे कर सकती है। परन्तु अब ऐसा लग रहा है कि सवर्ण मतों के बिखरने के डर से भाजपा सवर्ण कार्ड खेलने की तैयारी कर रहा है। क्या उत्तर प्रदेश जैसे जातिगत समीकरण में उलझे राजनैतिक महौल में भाजपा 2017 में कोई चमत्कार कर पायेगी। सवर्ण मतों के लिए भाजपा मनोज सिन्हा को आगे कर गुटबाजी से निजात पाना चाहती है परन्तु भाजपा के लिए यह खतरे से खाली नहीं है। राजनीतिक पण्डित यह चर्चा कर रहें हैं कि जिस प्रदेश में सत्ता परिर्वतन की ताकत अतिपिछड़ों के हाथ में है, ऐसे में भाजपा उन्हें कैसे अपने पाले में कर पायेगी? क्या अरविन्द मेनन व मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश में भाजपा की नैया को पार लगा पायेंगे?
उत्तर प्रदेश में मिशन-2017 मेें पार्टी जनाधार में वृद्धि के लिए भाजपा, कांग्रेस सहित सपा, जदयू आदि राजनीतिक दल दलित, पिछड़े वर्ग के महापुरूर्षों के जरिये वोट बैंक बनाने में जुटे हुये हैं।
सूबे की सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी भी दलित वोटों की सुझान सपा क ेसाथ करने के लिए 22 फरवरी को सपा मुख्यालय में संत शिरोमणि रविदास जयन्ती पर कार्यक्रम आयोजित किया है। जिसमें बड़ी तादात में दलितों को शामिल करने की योजना बनायी गयी है। उक्त कार्यक्रम की जिम्मेदारी सपा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष व सैदपुर के विधायक सुभाष पासी को सौंपी गयी। इस कार्यक्रम में सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव सहित दलित समाज के बड़े नेता शामिल होंगे।
उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव-2017 को देखते हुए दलितों को लुभाने की कोशिश में सभी दल लगे है। इसी क्रम में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के माल एवेन्यू स्थित प्रदेश कार्यालय में 18 फरवरी को दलित काॅन्कलेव में शिरकत की। उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणनानुसार 20.57 प्रतिशत दलित वर्ग की आबादी है जिसमें मायावती के जाटव समाज की आबादी 11.56 व पासी, धानुक, वाल्मीकि, गोड़, कोल, खरवार, मंझवार, बहेलिया आदि की 9.11 प्रतिशत आबादी है। गैर जाटव दलित जातियों को लुभाने के लिए सभी छोटे-बड़े दल जुटे हुए हैं। भाजपा सुहेल देव, संत रविदास व डाॅ0 भीम राव अम्बेडकर के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर दलितों को अपने पाले में करने के प्रयास में जुटी हुयी है। कांग्रेस के रणनीति कार प्रशान्त किशोर कांग्रेस का महागठबंधन बनाने के काम में तेजी से जुटे हुए हैं और उन्होंने 10 मार्च को लखनऊ में कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में माईक्रो सोशल इंजीनियरिंग का डाटा तैयार करने की जिम्मेदारी देकर कांग्रेसियों को परेशानी में डाल दिया है। प्रशान्त किशोर की चुनावी रणनीति की असली परीक्षा उत्तर प्रदेश में ही होनी है। पी0के0 उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे दलों व सामाजिक संगठनों के नेताओं से वार्ता कर महागठबंधन के साथ जोड़ने व मिलाने के काम में गम्भीरता से जुटे हैं। कई छोटे दलों से वार्ता के साथ-साथ पी0के0 कुर्मी, लोधी, निषाद, बिन्द, कुशवाहा, राजभर, चैहान, कश्यप, पाल आदि जातियों के संगठनों के साथ बैठकर गुप्त मीटिंगे कर चुके हैं।
बिहार में नीतीश कुमार के चुनाव रणनीतिकार प्रशान्त कुमार अब उत्तर प्रदेश   के मिशन-2017 के काम में जुे हुए हैं और उनकी टीम गोपनीय तरीके से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक आकड़ा व जातिगत स्थिति का डाटा तैयार करने के काम में जुटे हैं। प्रशान्त कुमार की योजना छोटे-छोटे दलों व सामाजिक समूहों का गठबंधन तैयार कर भाजपा व सपा को जवाब देने की रणनीति पर काम कर रहा है। भाजपा, बसपा, सपा, कांग्रेस जहां दलित वोट बैंक को सहेजने व लुभाने के लिए दलित महापुरूर्षों की जयन्ती व समारोहों का आयोजन कर रहें हैं। वहीं जनता दल युनाईटेड गैर यादव पिछड़ी जातियों जो सपा से नाराज चल रहें हैं, उन्हें जदयू के साथ जोड़ने की रणनीति पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। जहां तक उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का खाका खीचने की बात है, उसमें मुलायम से रिश्तेदारी के कारण लालूयादव अड़ंगा डाल रहें हैं। लेकिन नीतीश रालोद, कांग्रेस, अपना दल, राष्ट्रीय अपना दल, प्रगति मानव समाज पार्टी आदि छोटे-छोटे दलों का महागठबंधन बनाने में जुटे हुए हैं। पाटीदार आंदोलन के अगुवा हार्दिक पटेल भी नीतीश को ताकत देने के लिए तैयार बैठे हैं।
जदयू सूत्रों की माने तो अतिपिछड़ों में बड़ी संख्या रखने वाले निषाद बिन्द, कश्यप, धीवर, मल्लाह, मांझी, नाविक आदि जातियों को पार्टी से जोड़ने के लिए पार्टी फोरम पर गम्भीरता से विचार चल रहा है। जनता दल यूनाईटेड के सूत्रों ने बताया कि निषाद, कश्यप, बिन्द समाज एक ऐसा जातीय समूह है जो गाजीपुर से गाजियाबाद, कुशीनगर से ललितपुर व बहराइच से बांदा तक बड़ी तादात में फैला हुआ है जो सपा, बसपा, भाजपा से नाराज चल रहा है। प्रशान्त कुमार की योजना के अनुसार निषादों के कुल पूर्वज महाराज निषाद राज गुहा की जयन्ती श्रृंगबेरपुर में आयोजित किये जाने पर विचार चल रहा है जिसमें नीतीश कुमार को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जायेगा। जिसके माध्यम से जदयू जहां भाजपा को घेरना चाहती है वहीं सपा, बसपा जैसे दलों को भी जवाब देने की तैयारी करेंगी।
निषाद मछुआरा वर्ग को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए जदयू रणनीतिकारों ने बलिया में मैकू व भीमा निषाद, चैरी-चैरा गोरखपुर में महादेव केवट, मऊ में कुमार मांझी, कानपुर में समाधान निषाद, उन्नाव या लखनऊ में अमर शहीद गुलाब लोधी, हमीरपुर में ब्रह्मानन्द लोधी, आगरा या फिरोजाबाद में बिलसिया निषाद तथा फतेहपुर  या जालौन में वीरांगना फूलन देवी के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर इस वर्ग को लुभाने की योजना तैयार किया है। वहीं बरेली में जयपाल सिंह कश्यप व बहराइच में छेदी लाल साथी के नाम पर चिन्तन समारोह का कार्यक्रम बनाया है। विधान सभा चुनाव-2017 को देखते हुए राजनीतिक दल वोट बैंक जुटाने के काम में तेजी से जुट गये है और वे दलित व पिछड़े महापुरूर्षों के नाम पर जयन्ती, स्मृति दिवस व समारोह आयोजित कर रहें हैं। अतिपिछड़ा वर्ग चिन्तक व राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने स्पष्ट तौर से कहा कि वर्तमान में गैर यादव पिछड़ी जातियां ही नहीं बल्कि मुस्लिम वर्ग भी सपा सरकार से काफी नाराज हैं। उत्तर प्रदेश में जहां गैर यादव पिछड़ी जातियों की संख्या 43-44 प्रतिशत से अधिक हैं वही मुसलमानों की संख्या 18 प्रतिशत से अधिक है जो उत्तर प्रदेश की राजनीति को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। उत्तर प्रदेश के विधान सभा-2017 में अतिपिछड़ी जातियों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी क्योंकि अभी तक इतिहास है कि ये जातियां जिस पाले में गयी। वहीं सत्ता का वरण किया या नं0-1 के रूप में उभरा। जाट वोट बैंक को देखते हुए मेरठ व कुर्मी वोट बैंक को देखते हुए वाराणसी, बस्ती, लखीमपुर में नीतीश कुमार व अजीत सिंह की रैलियां आयोजित होने वाली हैं। महागठबंधन के रणनीतिकार गोरखपुर, कानपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद, आगरा में निषाद रैली, बरेली, बुलन्दशहर, हरदोई में कश्यप रैली, मिर्जापुर या वाराणसी बिन्द रैली करने के साथ-साथ फर्रूखाबाद, पीलीभीत, गोण्डा, जालौन, रायबरेली में पाल, कुशवाहा, लोधी, किसान व मऊ या आजमगढ़ में निषाद, राजभर, चैहान रैली करने की तैयारी में जुटे हैं।
कर्मेन्द्र सिंह गौर
राजनीतिक समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार
लखनऊ