एक बिजली निगम बनाना तकनीकी जरूरत

power ministryनई दिल्ली। बिजली इन्जीनियरों ने केन्द्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल के एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक बिजली मूल्य के बयान का स्वागत करते हुए कहा है कि एक बिजली मूल्य की सफलता के लिए विगत वर्षों में निगमीकरण के नाम पर बनाये गये तमाम निगमों का एकीकरण कर एक बिजली निगम बनाना तकनीकी जरूरत है अन्यथा एक बिजली कीमत का नारा मात्र जुमला बन कर रह जायेगा।
आॅल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे एवं उप्र रा वि प अभियन्ता संघ के महासचिव डी सी दीक्षित ने आज यहां जारी बयान में कहा कि निगमीकरण और निजीकरण की विगत २५ वर्षों से चठ रही ऊर्जा नीति के परिणाम स्वरूप एक प्रान्त में ही अलग-अलग क्षेत्रों में बिजली दरें अलग-अलग है। यहां तक की निजीकरण के चलते राजधानी दिल्ली और मुम्बई में एक शहर में ही अलग-अलग बिजली दरें हैं ऐसे में एक राष्ट्र, एक ग्रिड और एक कीमत (व्दम छंजपवदए व्दम ळतपकए व्दम ब्वेज) के नारे का कोई अर्थ नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक ओर केन्द्र सरकार एक राष्ट्र, एक ग्रिड और एक कीमत की बात कर रही है तो दूसरी और इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल के जरिये एक ही क्षेत्र में कई बिजली आपूर्ति के लाइसेन्स देने की प्रक्रिया चल रही है जिससे उपभोक्ताओं को एक ही इलाके में अलग-अलग लाइसेन्सी से अलग-अलग दाम पर  बिजली जलेगी। अतः केन्द्र सरकार को एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक कीमत पर अपनी योजना साफतौर पर रखना चाहिए और इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल पूरी तरह वापस लेना चाहिए।
अभियन्ता पदाधिकारियांे ने कहा कि बिजली राज्य का विषय है और हर राज्य में अलग विद्युत नियामक आयोग है जो बिजली की दरें तय करता है तो केन्द्र सरकार को यह भी बताना चाहिए कि पूरे देश में एक कीमत का लक्ष्य कैसे हासिल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि देश का बिजली क्षेत्र लगातार किये जा रहे प्रयोगों से मरणासन्न हो गया है अतः इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल सहित कोई भी नया प्रयोग करने से पहले विगत २५ वर्षों में किये गये बदलाव की सार्थक समीक्षा की जानी चाहिए।