छलकाये जाम: यूपी वाले 14 हजार करोड़ की पी गये दारू

wine shopलखनऊ। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या यूपी में भी जिंदगी, शराब से मिलने वाले भारी-भरकम राजस्व से जीत सकेगी। क्या चुनावी साल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आबकारी राजस्व का सवा 19 हजार करोड़ रुपये छोडऩे का साहस दिखा सकेंगे। दो दिन पूर्व बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश में भी इस बाबत दबाव बन रहा है। नगालैंड, मिजोरम व गुजरात के बाद बिहार पूर्ण शराबबंदी लागू करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है। बिहार में शराब से हर वर्ष 4000 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व मिलता था।
यूपी को भी ड्राई स्टेट घोषित किए जाने के पक्षधर कम नहीं हैं लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या सपा सरकार एक लाख करोड़ रुपये के कर राजस्व में से 19.25 फीसद हिस्सेदारी वाले आबकारी राजस्व को गंवाने की हिम्मत दिखा पाएगी? वाणिज्य कर के बाद सरकार ने इस वर्ष आबकारी से ही सर्वाधिक 19,250 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है। गुजरे वित्तीय वर्ष 2015-16 में भी आबकारी से सरकारी खजाने में तकरीबन 14 हजार करोड़ रुपये जमा हुए हैं। अफसरों का कहना है कि वित्तीय संकट को देखते हुए शायद ही कोई सरकार पूर्ण शराबबंदी का फैसला कर सके? ऐसे फैसले से न केवल विकास परियोजनाओं पर विपरीत असर पड़ेगा बल्कि लचर कानून व प्रवर्तन कार्य से अवैध शराब के कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जिस समय बिहार शराबबंदी की तैयारी कर रहा था, उत्तर प्रदेश की अफसरशाही शराब की कम बिक्री को लेकर चिंतित थी। अब जबकि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हो गई है तो यूपी के अफसर उससे यहां होने वाले राजस्व के फायदे का आकलन कर रहे हैं।
शराब से लोगों के घर बर्बाद हो रहे हों या फिर उनकी सेहत बिगड़ रही हो, सरकार को ज्यादा से ज्यादा कमाई से मतलब है। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेशवासियों को 32.02 करोड़ लीटर देशी शराब पिलाने का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष 30.73 करोड़ लीटर का जहां लक्ष्य था वहीं इस वर्ष का लक्ष्य 33.30 करोड़ लीटर है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान तकरीबन 7.50 करोड़ विदेशी शराब और 26.75 करोड़ बोतल बीयर पी गई। तस्करी पर अंकुश लगाने के साथ ही प्रदेशवासियों को इस साल और ज्यादा विदेशी शराब पिलाने के लिए सरकार ने उसके दाम लगभग 25 फीसद घटाए हैं। सूबे में शराब की बढ़ती खपत का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि एक दशक पहले वर्ष 2005-06 में जहां 19.16 करोड़ लीटर देशी शराब, 5.46 करोड़ बोतल विदेशी व 4.89 करोड़ बीयर की बोतल की खपत थी वहीं अब यह कई गुना बढ़ चुकी है।