पर्सनल लॉ बोर्ड के रूख से समान नगारिक संहिता के पैरोकारों को मौका

AIMPLB-1लखनऊ अप्रैल। तीन तलाक और तलाक शुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता मामले में अडिय़ल रूख वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रगतिशील मुस्लिम महिला संगठनों व समान नागरिक संहिता की पैरवी करने वालों को मुखर कर दिया है। प्रगतिशील मुस्लिम महिला संगठन बोर्ड की रूख से नाराज है। अब देश में समान नागरिक संहिता की मांग करने वाले सांसद भी निशाना साध रहें है। भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना की है। गोरखपुर से सांसद योगी देश में एक ही कानून के समर्थक हैं। उन्होने कहा कि देश में मुस्लिम महिलाओं की हालत चिंताजनक है। एक ओर महिला सशक्तिकरण की बात हो रही हैं, दूसरी ओर देश में मुस्लिम महिलाओं को न्याय से वंचित कर दिया गया है। इस अंधेरगर्दी को समाप्त करने के लिए कोर्ट को दखल देना चाहिए। योगी के पहले उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा था कि इस्लाम में महिलाओं को पैर की जूती माना जाता है। साक्षी ने मुस्लिम महिलाओं के हक की जोरदान पैरवी कर रहें है।
क्या कहती है मुस्लिम महिलाएं
ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा है कि शरीयत में कमी नही है वह मुकम्मल है, तलाक के हक का गलत प्रयोग हो रहा है। पर्सनल लॉ बोर्ड कुछ करना चाहता है तो शायरा बानो व उसके पति को बुला कर बात करे। बज्मे ख्वातीन की शहनाज सिदरत ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक बुराई है। तीन तलाक और हलाला सामाजिक कुरीति है। कुरआन में कहा गया है कि एक महीने के अंतर से तीन तलाक बोला जाना चाहिए। आल इंडिया मुस्लिम महिला आंदोलन की अध्यक्ष नाइशा हसन ने कहा कि बोर्ड के तर्क गलत है, तीन तलाक पवित्र कुरान और देश के संविधान दोनों के मुताबिक गलत है, अदि बोर्ड तीन तलाक का समर्थन करता है तो वह दोनों के खिलाफ है। 
शनिवार को लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में तय हुआ कि इस्लामिक शरीयत की हिफाजत करने में वह पीछे नहीं हटेगा। वह तीन बार तलाक कहकर तलाक लिए जाने के इस्लामिक पंरपरा में किसी भी तरह के बदलाव या छेड़छाड़ का सुप्रीम कोर्ट में विरोध करेगा। दरअसल यह मामला उत्तराखंड निवासी शायरा बानो ने तीन बार तलाक कहकर तलाक लिए जाने की इस्लामिक प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया। खुद संज्ञान लेते हुए मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जरूरतों पर गौर करने का भी फैसला लिया। पर्सनल बोर्ड ने केस में विरोधी पक्ष बनने का फैसला किया है। तीन तलाक, हलाला और एक से ज्यादा शादियों के मसले पर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा। तीन तलाक को रद्द करने के किसी भी कदम का विरोध करेगा।
————