क्या उप्र में शराबबंदी के बहाने सकारात्मक राजनीति की होगी वापसी

nitish_kumarलखनऊ मई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शराबबंदी अभियान क्या उप्र में सकारात्मक राजनीति की दिशा में आगे ले जाएगा। यह सवाल प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों को परेशान कर रहा है। हालांकि उप्र में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, जद यू के अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सक्रियता से बेहद नाराज है। सपा ने नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीतिक जंग का एलान कर दिया है।
उप्र में शराबबंदी की अपील करते हुए बिहार के मु यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि उप्र सरकार चाहे तो शराबबंदी लागू कर प्रदेश की जनता का 60 हजार करोड़ रूपये अच्छे कामों में लगाने का माहौल बना सकती है। अभी डा.राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए कहा कि लोहिया का नाम लेते है तो कुछ काम ाी करिये। उप्र में शराबबंद करिये। राजस्व के नुकसान से कई गुना लाभ प्रदेश को होगा।
लखनऊ में किसान मंच ने नीतीश कुमार के शराबबंदी अभियान में शामिल हो गया है। शराबबंदी के लिए मंच की महिला कार्यकर्ताओं ने नीतीश का अभिनंदन किया। कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि बिहार में शराब बंदी के बाद से गांवों का माहौल बदल गया है। शाम को होने वाला कोलाहल शांत हो गया है, पुरूष घर में पत्नी के साथ खाना बनाने में हाथ बंटा रहें है। जबकि उप्र सरकार सीमा पर शराब की नई दुकानें खोल कर पैसे कमाने का खिलवाड़ कर रही है। गोपालगंज और उप्र के कुशीनगर की सीमा पर मौजूद 85 हजार के राजस्व की शराब की दुकान से उप्र सरकार अब 30 लाख वसूल रही है। सीवान देवरिया की सीमा पर उप्र में मौजूद शराब की दुकान का राजस्व 6.25 से बढ़ा कर 30.25 कर दिया गया है। बिहार की सीमा पर लगे ब्रेथ एनालाइजर से बचने के लिए सीमावर्ती उप्र की शराब की दुकानों पर सोने के लिए खटिया भी दी जा रही है।
नीतीश ने कहा कि उप्र के मुख्यमंत्री को शराबबंद करने के लिए पत्र लिखा है लेकिन उन्हे कोई जवाब नही मिला है। लगता है कि उप्र के मुख्यमंत्री ने पत्र का संज्ञान ही नही लिया। सीमा पर 3 किमी के दायरे में शराब की दुकानें न खोले जाने का नियम है। जिसके बिहार के मुख्य सचिव ने उप्र सरकार को पत्र भेजा है। नीतीश ने कहा कि संविधान में लिखा है कि शराबबंदी की जाएगी। लेकिन नही हुई। अब समाज बदल रहा है। उप्र सरकार को शराबबंदी से होने वाले 18 हजार करोड़ के नुकसान के बदले शराब पर जनता का खर्च होने वाला 60 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा अच्छे कामों पर खर्च होगा। कुपोषण घटेगा, उपभोक्ता वस्तुओं का व्यापार बढ़ेगा। समाज में शांति सद्भाव बढ़ेगा। स्त्रियों का स मान बढ़ेगा। उप्र सरकार चाहे तो अपनी टीम भेज कर बिहार के बदलाव का जायजा ले सकता है।
किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा कि उप्र में महिलाएं शराब बंदी के पक्ष में है। प्रदेश सरकार को शराबबंदी के लिए किसान मंच मजबूर करेगा। यह समाज को बनाने के लिए सकारात्मक राजनीति की नई शुरूआत है।
इसके दो दिन पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा राज्यसभा सदस्य प्रो.रामगोपाल यादव ने नीतीश पर तीखा हमला किया है। उन्होने कहा है कि नीतीश बिहार की एक छोटी सी पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन वह सपने पूरे देश का देख रहे हैं। अगर वह ऐसे सपने देख रहे हैं तो देखें लेकिन यह सपना कभी पूरा नहीं होगा। प्रो.रामगोपाल यहीं नही रूके उन्होने कहा कि बिहार के नेता उप्र में शराब पीने आते है।
जवाब में जद यू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन भैया ने कहा कि उप्र में बेहद नाकाम सरकार देने वाली सपा नीतीश कुमार के उप्र में सक्रिय होने से घबराहट में है। जद यू के कार्यकर्ताओं की फौज लगातार बढ़ रही है। पिछड़ा और वंचित समाज जनता दल यू की ओर उम्मीद से देख रहा है। इस बात को समझकर सपा के परिवारवादी नेता बौखला गए है। हम शराब को रोक कर समाज बनाना चाहते है, जबकि सपा नेताओं की रूचि जंगलराज में है।

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