मोदी के आदर्श गांव में स्वच्छता मिशन को पलीता

jayapur

वाराणसी। बीते वर्ष पीएम पद की शपथ लेने के बाद जब नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के गांव जयापुर को गोद लेने की घोषणा की, तो कहा गया कि यह देश का सबसे आदर्श गांव बनेगा। पूरे देश में उम्मीद बंधी कि जयापुर में चल रहे विकास कार्य देश के लिए मॉडल का काम करेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की बयार बहेगी। शुरुआत अच्छी भी हुई और जयापुर गांव कई सकारात्मक परिवर्तन का साक्षी भी बना। हालांकिए इसके उलट एक नकारात्मक तस्वीर भी शक्ल ले रही हैए जिसके ऊपर शायद कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पीएम मोदी के ड्रीम मिशन स्वच्छ भारत अभियान को कहीं और नहींए बल्कि जयापुर गांव में ही पलीता लगाया जा रहा है।
गांव के टॉयलेट्स बनने के दो महीने के भीतर ही टूटने की कगार पर हैं। वहीं इन टॉयलेट्स के लिए खोदे गए सेप्टिक टैंक के खुले गड्ढे कभी भी गांव के छोटे बच्चों के लिए मौत का कारण बन सकते हैं। गांव के प्रधान प्रतिनिधि इसे विरोधियों का दुष्प्रचार बता मोदी को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं। बीते 16 जुलाई को पीएम मोदी के वाराणसी दौरे पर आने की खबर पर हमारे संवाददाता ने जब जयापुर पहुंचे तो वहां इस कड़वी हकीकत की दबी.छिपी तस्वीर सामने आई। पहले तो कोई इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं था, लेकिन गांव में प्रवेश करते ही एक महिला बिमला गुप्ता ने दबी जुबान से यहां बन रहे टॉयलेट्स की हकीकत बाताई। इस महिला के आगे आते ही टॉयलेट्स की क्वालिटी से असंतुष्ट लोगों को आवाज मिल गई हो और एक.एक कर लोग सामने आते गए और गांव में बन रहे टॉयलेट्स की दुर्दशा बयान करते गए।
बिमला गुप्ता ने अपने घर के बाहर बने टॉयलेट की नींव को दिखाते हुए कहा कि यहां टॉयलेट बना था। उनकी बेटी शौच के लिए उसमें बैठी ही थी कि अचानक टॉयलेट की दीवारें ढह गईं। इस घटना में उसकी जान तो बच गईए लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गई। ऐसे में अब शौच के लिए लोग या तो गांव के बाहर बने सार्वजनिक टॉयलेट में जाते हैं, जहां लम्बी लाइन लगी होती है या वे पहले की तरह शौच के लिए खेतों का रूख करते हैं।
टॉयलेट की टाइल्स से भर दिया गड्ढा : बिमला बताती हैं कि टॉयलेट की दीवारें ढहने के बाद उन्होंने और उनके पति पुनमासी गुप्ता ने इस टॉयलेट की दीवारों की टाइल्स से अपने घर के सामने बने गड्ढे को भर दियाए जिसमें बरसात के बाद पानी एकत्र हो जाता था। उनका कहना है कि टॉयलेट भले ही उनके शौच जाने के काम न आया होए लेकिन उससे घर के बाहर बना गड्ढा पट गया है। गड्ढे में मिट्टी डालकर भरे जाने के बाद भी इन टाइल्स की मजबूती का आलम यह है कि यह जऱा सा वजन पडऩे के साथ ही चटक गए हैं। इससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि टॉयलेट्स लम्बे समय तक टिके रहने के लिए नहीं बनाए गए हैं।