बंगलादेश में आतंकी हमलों ने बढ़ाई भारत की चिताएं

bangladesh-policeकृष्णमोहन झा।
बंगलादेश की राजधानी ढाका में एक रेस्तरां में हुए आतंकी हमले में 22 लोगों के मारे जाने की घटना के एक सप्ताह बाद, आज फिर कट्टरपंथीयों ने देशी बम फेंककर विस्फोट किया। विस्फोट उत्तरी किशोरगंज जिले के शोलकिया में हुआ जहां ईद की नमाज के लिए करीब 200,000 लोग एकत्र थे। विस्फोट में पुलिस का एक सिपाही मारा गया और कम से कम 13 अन्य घायल हो गए। बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के लिए अभी तक वे कट्टरपंथी तत्व ही सिर दर्द बने हुए थे जो हिन्दू पुजारियों, अल्पसंख्यक धर्मगुरुओं, धर्मनिरपेक्ष ब्लागरों को अपना निशाना बना रहे थे परन्तु वहां की राजधानी ढाका के एक पाश इलाके में स्थिति स्पैनिश रेस्तरां के अन्दर हुई आतंकी हमले की वारदात ने यह साबित कर दिया है कि हसीना वाजेद सरकार को आतंकवाद से मुकाबले के लिए नए सिरे से योजनाबद्ध रणनीति बनाकर कठोर कदम उठाने होंगे क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों के साथ आतंकी संगठनों ने भी वहां अपने पैर जमाने शुरू कर दिए है। प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद भी इस हकीकत को भाप चुकी है कि बंगलादेश की धरती को आतंकियों से मुक्त करने के लिए यदि अभी सख्त कदम नहीं उठाए गए तो पानी गले से ऊपर जा सकता है। रेस्तरां में की गई कमांडो कार्रवाई में जिस तरह 7 में से 6 हमलावरों को मौके पर ही मार गिराया गया और एक को जिन्दा पकड़ लिया गया उससे यह संकेत आवश्य मिलता है कि बंगलादेश की सेना आतंकियों का पूरक पोषण नहीं करती और उस पर प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद का पूरा नियंत्रण है। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के शासनकाल में ही वहां कट्रपंथी तत्वों के हौंसले बुलंद हुए थे जो आज वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रहे है। बंगलादेश में सेना के हाथों में सरकार की बागडोर थी तभी से इन कट्टरपंथी तत्वों ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की थी जिन्हेंं पाकिस्तान के द्वारा प्रोत्साहन प्रदान किया जाता था।
बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के राजनैतिक सलाहकार हुसैन तौफीक इमाम और गृहमंत्री असदुज्जमा खान ने दावा किया है कि ढाका के स्पैनिश रेस्तरां में हुई आतंकी वारदात में किसी अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन का हाथ नहीं था क्योंकि बंगलादेश में उनका वजूद नहीं है। ढाका की आतंकी वारदात के पीछे वहां की सरकार स्थानीय संगठनों का ही हाथ मानती है लेकिन उसने यह संदेश भी व्यक्त किया है कि इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है। प्रधानमंत्री हसीना वाजेद ने संकल्प व्यक्त किया है कि उनकी सरकार यह पता करेगी कि हमलावर आतंकियों को विस्फोटकों और हथियारों की आपूर्ति कहा से की गई।
गौरतलब है कि जिन आतंकियों ने उक्त वारदात को अंजाम दिया उनमें से एक को जिंदा पकड़ लिया गया है और बंगलादेश की सेना व पुलिस को उक्त आतंकी हमलावर से इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती है। बंगलादेश की प्रधानमंत्री के राजनैतिक सलाहकार हुसैन तौफीक इमाम ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में कहा है कि बंगलादेश में पनपे आतंकी संगठन जमायतुल मुजाहिदीन बंगलादेश और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच का रिश्ता जग जाहिर है और वे वर्तमान सरकार को पटरी से उतारना चाहते हैं। तौफिक इमाम ने जोर देकर कहा है कि ढाका के स्पैनिश रेस्तरां में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले हमलावर जमीयतुल इस्लामी बंगलादेश से ही संबंध रखते थे। तौफिक इमाम के बयान को विश्वसनीय मानने के कई कारण हैं। जब से पाकिस्तान का विभाजन करके बंगलादेश अस्तित्व में आया है तभी से वह पाकिस्तान की आंखों में काटा बना हुआ है। पाकिस्तान ने वहां कट्टर पंथी तत्वों को उकसाने मेंं कभी कोई नहीं छोड़ी है और धर्मनिरपेक्ष सरकार को अस्थिर करने के इरादे से लगातार कोशिशें करता रहा है चूंकि शेख हसीना वाजेद इस समय बंगलादेश की प्रधानमंत्री है जो बंगलादेश मुक्ति संग्राम के नायक स्व. शेख मुजीबर्रहमान की बेटी है इसलिए बंगलादेश की वर्तमान सरकार को परेशान करने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहा है। शेख हसीना वाजेद की सरकार ने जिस ढाका की आतंकी वारदात में आईएसआई का हाथ होने का दावा किया है उससे पाकिस्तान की सरकार और तिलमिला उठी है। गौरतलब है कि भारत में हुए आतंकी हमलों के तार भी आईएसआई से जुड़ रहे है। परंतु पाकिस्तान ने भारत द्वारा किए गए सारे सबूतों को हमेशा नकार दिया है इसलिए वह बंगलादेश में हुए आतंकी हमले के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होने के दावे को कैसे स्वीकार कर सकता है।
बंगलादेश की वर्तमान सरकार भले ही यह दावा करे कि आईएस या अलकायदा से अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों का बंगलादेश में कोई वजूद नहीं है परन्तु इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उक्त अंर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन बंगलादेश के स्थानीय आतंकी संगठन जेएमबी के जरिए वहां अपनी पहुंच बनाने की सुनियोजित कोशिश में लगे हों। ढाका के आतंकी हमले में एक बात और उभरकर सामने आई है कि आतंकी हमलावर गरीब और अशिक्षित युवक नहीं थे और अच्छी शिक्षा हासिल कर चुके थे। इससे यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि उन्होंने आधुनिक संचार माध्यमों का उपयोग भी इस हमले की साजिश रचने में किया होगा और विदेशों से उन्होंने संदेश भी ग्रहण किए। पकड़े गए हमलावर से इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती है और उससे रहस्यमय खुलासे हो सकते हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय बात है कि एक ओर तो भारत और बंगलादेश ने आतंकवाद पर दृढ़ रूख अपनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है परन्तु पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने यह बयान देकर सबको आश्चर्य में डाल दिया हे कि आतंकवादियों के विरूद्ध कार्रवाई में जोखिम है अत: हमे अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते समय उनकी पलट कार्रवाई के जोखिम को भी याद रखना चाहिए। क्या सरताज अजीज के पास इस सवाल का कोई संतोषजनक उत्तर हो सकता है कि अगर ढाका के स्पैनिश रेस्तरां में आतंकी वारदात को अन्जाम देने वाले 7 हमलावरों के विरूद्ध कमाण्डो कार्रवाई नहीं की गई होती तो क्या वे और अधिक संख्या में बंधकों की हत्या नहीं कर डालते। सरताज अजीज का बयान केवल इस हकीकत को भी बयां करता है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर आधे अधूरे मन से कार्रवाई करने मानसिकता से मुक्त नहीं होना चाहता। इसलिए उस देश में आतंकी संगठन तेजी से फल फूल रहे हैं।
ढाका में हुए आतंकी हमले ने भारत की चिंताएं भी बढ़ा दी है क्योंकि असम और पश्चिम बंगाल की बड़ी सीमा बंगलादेश से हुड़ी हुई है और बंगलादेश में अगर अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन पैर जमाने में सफल हो जाते हैं तो वे भारत में भी प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ कराने से नहीं चूकेंगे। वैसे भी बंगलादेशी घुसपैठिए भारत के लिए स्थायी सिरदर्द बन चुके है। अत: अब जरूरत इस बात की है कि भारत और बंगलादेश मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाकर काम करें।