नई दिल्ली। नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट से इस साल कुछ राज्यों को छूट देने वाले अध्यादेश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया। कोर्ट ने इस अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका को भी खारिज नहीं किया और कहा कि इस पर सुनवाई जारी रहेगी। हालांकि सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई और कहा कि आपने अच्छा नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अध्यादेश लाकर केंद्र राज्यों को कह रहे हैं कि कानून लागू मत करो। सरकार का एक न्यूनतम स्टेंडर्ड होना चाहिए, लेकिन अब कोई फैसला लेंगे तो अव्यवस्था फैलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट हमारा फैसला सिर्फ छात्रों के हित में नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए था। हम इसके जरिए डॉक्टरी पेशे के लिए एक बेंचमार्क सेट करना चाहते थे।
केंद्र ने कोर्ट में कहा कि अध्यादेश के बाद से 17 राज्यों ने अपने यहां मेडिकल प्रवेश परीक्षा ले ली है। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ये अध्यादेश सिर्फ इसी साल के लिए है जो राज्य नीट लागू करना चाहते हैं वो कर सकते हैं।
बता दें कि डॉ. आनंद राय की याचिका पर आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुुनवाई हुई। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के अध्यादेश को गैरकानूनी बताया है और कोर्ट से इसे निरस्त करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि नीट परीक्षा के लिए लाया गया अध्यादेश जनहित के खिलाफ है। उन्होंने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं और धांधली-भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए नीट परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।
नीट से इस साल से तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब को बाहर रखने के लिए अध्यादेश जारी किया गया था। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए नीट को अनिवार्य कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने बीती 28 अप्रैल के अपने फैसले में जब कोई बदलाव नहीं किया तो केंद्र सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया।