नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में निचली अदालत का सामना करना चाहिए। अगर ट्रायल का सामना नहीं करना चाहते तो मांफी मांग लें। यह टिप्पणी जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की बेंच ने की है।
आपको बता दें कि यह मामला 6 मार्च, 2014 का है। राहुल गांधी ने मुंबई के भिवंडी के सोनाले इलाके में एक पब्लिक रैली में कहा था कि आरएसएस के लोगों ने महात्मा गांधी को मारा था।
निचली अदालत में चल रहे मुकदमे को रद्द करने की राहुल गांधी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि राहुल गांधी अगर अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगना चाहते हैं तो फिर उन्हें निचली अदालत में मुकदमे का सामना करना चाहिए। अगर उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा तो उन्हें ट्रायल का सामना करना चाहिए।
राहुल गांधी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराने वाले बयान के खिलाफ राजेश महादेव कुंटे नाम के एक शख्स ने भिवंडी, महाराष्ट्र में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है। इस बाबत दर्ज एफआईआर को राहुल गांधी रद्द करवाना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजेश कुंटे के वकील से भी कहा कि अगर आपराधिक मानहानि के मुकदमे का प्रावधान है तो इसका मतलब ये नहीं की ज्यादा से ज्यादा मामले दायर हों। इतिहास गोपनीयता का सबसे बड़ा दुश्मन है।
