राज्यसभा में पेश हुआ जीएसटी: बदल जायेगी टैक्स व्यवस्था

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नई दिल्ली। राज्यसभा में आज एक ऐसा बिल पेश किया गया है जो वर्षों पुरानी टैक्स व्यवस्था को पूरी तरह बदल देगा। जीएसटी यानी वस्तु सेवा कर को करीब एक दशक से लाने की बात हो रही है लेकिन ये बिल अब तक पास नहीं हो सका है।
बिल के कई बिंदुओं पर हुई व्यापक चर्चा के बाद बिल के पास होने की उम्मीद भी की जा रही है लेकिन व्यापारियों में जीएसटी को लेकर अभी भी उलझन बनी हुई है। टैक्स जानकारों का मानना है कि भारत में सिर्फ 20 फीसदी बड़ी फर्में ही ऐसी हैं जोकि जीएसटी के लिए तैयार हैं और बाकि कंपनियां दशकों से चली आ रही टैक्स व्यवस्था के अनुसार चलने की योजना बना रहे हैं।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर बड़े बदलावों की जरूरत पड़ेगी मसलन सरकार को एक बड़ा आइटी सिस्टम लगाना पड़ेगा। इसके अलावा टैक्स जमा करने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग देनी होगी दूसरी तरफ कंपनियों को भी टैक्स व्यवस्था में परिवर्तन करना पड़ेगा।
हालांकि जो कंपनियां जीएसटी के लिए तैयार हैं वो भी इस उलझन में हैं कि संसद और विभिन्न राज्यों की विधानसभा इसे किस प्रकार लागू करती हैं। सबसे बड़ी समस्या तो ये है कि लगभग सभी राज्यों को जीएसटी संशोधन बिल पास कराना होगा और उसके लिए जीएसटी काउंसिल बनानी होगी जोकि राज्य में नए टैक्स कानून की नई दशा और दिशा निर्धारित करेंगे।
रोएमर वूलन मिल्स के प्रमुख जी आर रलहान के मुताबिक जीएसटी लागू होने से छोटी कंपनियां चिंतित हैं उन्होंने कहा कि टैक्स की उच्चतम दर उन्हें व्यापार बंद करने पर मजबूर कर सकती है।
गौरतलब है कि भारत से पहले जिन देशों ने भी जीएसटी को लागू किया है वहां उम्मीद से उलट अर्थव्यवस्था को नुकसान ही हुआ है। बताया जा रहा है कि मोदी सरकार जीएसटी की दर 18 फीसदी रखना चाहती है मगर राज्य सरकारें दर बढ़ाने की मांग कर रही हैं।
मंदी के दौर में भी भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है जोकि 7.9 फीसदी की दर से बढ़ रही है। हालांकि इकनॉमिस्ट और एचएसबीसी ने जीएसटी लागू होने के बाद अगले 3 से पांच सालों में विकास दर की रफ्तार 0.08 फीसदी और बढऩे की उम्मीद लगाई है।