ट्रान्सनिस्ट्रिया: जहां चलते हैं प्लास्टिक के सिक्के

plastic coinफीचर डेस्क। विश्व में लगभग सारे देश करेंसी के रूप में सिक्कों का उपयोग करते हैं। ये सिक्के लोहे से लेकर सोने तक से बने हो सकते हैं। भारत में भी चांदी से लेकर स्टेनलेस स्टील से बने सिक्के प्रचलित हैं। लेकिन क्या कभी आपने प्लास्टिक से बने सिक्के देखे हैं?
यूक्रेन से लगा छोटा सा देश ट्रान्सनिस्ट्रिया दुनिया का ऐसा पहला देश है जिसने प्लास्टिक के सिक्के जारी किए हैं। एक, तीन, पांच और दस रूबल के ये सिक्के दिखने में तो सुंदर हैं ही इनकी कई विशेषताएं भी हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से अब अर्थशास्त्री यह मानने लगे हैं कि बहुत जल्द सारी दुनिया के साथ भारत भी प्लास्टिक के सिक्कों को चलन में ला सकता है।
सिक्कों औऱ करेंसी नोटो को संग्रह करने के शौकीन बीकानेर के सुधीर लुणावत ने बताया कि उन्होने अपने संग्रह के लिये खासतौर पर इन सिक्कों के एक सेट को ट्रान्सनिस्ट्रिया से मंगवाया है !
सुधीर के अनुसार
प्लास्टिक सिक्के जारी करने वाला देश ट्रान्सनिस्ट्रिया सोवियत संघ से अलग होकर अस्तित्व में आया था। इसकी करेंसी रूबल है जिसका मूल्य भारतीय करेंसी रुपये के बराबर ही है। यानि एक ट्रान्सनिस्ट्रियाई रूबल का मूल्य एक भारतीय रुपए के बराबर ही है।

सिक्कों की खासियत-
वजन में हल्के हैं ये सिक्के
आम मेटल से बने सिक्के काफी वजनी होते हैं, जिसके चलते इन्हें कैरी करना काफी असुविधाजनक होता है। लेकिन प्लास्टिक के यह सिक्के वजन में काफी हल्के और पतले हैं। इनका वजन आम सिक्कों के एक चौथाई से भी कम है।
नक़ल करना मुश्किल
जिस तरह नोटों की कॉपी रोकने के लिये नोटों में कुछ खास पहचान बनाए जाते हैं, उसी तरह इन प्लास्टिक के सिक्कों में भी कुछ खास पहचानें बनाई गई हैं, जिनसे इनकी कॉपी बनाना काफी मुश्किल हो जाता है।
यूवी किरणों में चमकता है होलोग्राम

इन सिक्कों को अल्ट्रा वॉइलेट किरणों में देखने पर इनका खास होलोग्राम नजर आता है। इसे आप नोटों को रोशनी पर ले जाने पर दिखाई देने वाले होलोग्राम जैसा ही समझ सकते हैं।

बोनी साउण्ड
इन प्लास्टिक सिक्कों की सबसे बडी खासियत है इन्हें आपस में टकराने पर निकलने वाली आवाज बिल्कुल हड्डियों को टकराने पर निकलने वाली आवाज (बोनी साउंड) की तरह होती है। इसके लिए इन सिक्कों को एक विशेष तरह के प्लास्टिक मटेरियल से बनाया गया है। अपनी इस खास बोनी साउण्ड के चलते नेत्रहीन भी आसानी से सिक्कों की पहचान कर सकते हैं।

सस्ते और टिकाऊ
जहां इन सिक्कों को निर्मित करने मे आम सिक्कों की अपेक्षा कम लागत आती है, वहीं इन सिक्कों की उम्र भी आम सिक्कों से अधिक होगी।