नाग पंचमी: श्रद्धा और विश्वास का पर्व

nag2फीचर डेस्क। हिन्दू समाज में नाग पंचमी का एक विशेष महत्व है। श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन ‘नागपंचमी का पर्वÓ परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष महत्व है। भारतीय कैलेण्डर के अनुसार, इस बार नाग पंचमी 7 अगस्त को है। परम्परा है कि पूरे सावन महीने में ख़ास कर नागपंचमी के दिन न तो जमीन खोदना चाहिए और न ही किसी सांप को मारना चाहिए।
हिन्दू समाज के अनुसार, नाग पंचमी मुख्य रूप से सदैव भगवान शिव के गर्दन में लिपटे रहने वाले नाग देवता की पूजा-अराधना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और उन्हें दूध-खीर खिलाकर उनकी पूजा की जाती है। हांलाकि, कहीं-कहीं सावन महीने के कृष्ण पक्ष को भी नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।
हिन्दू परंपरा के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन नागदेव के दर्शन अवश्य करना चाहिए साथ ही बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए। नागदेव को दूध नहीं पिलाना चाहिए। उन पर दूध चढ़ा सकते हैं। नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
आचार्य भरत राम तिवारी के मुताबिक नाग पंचमी पर व्रत करने से सर्पों का भय दूर होता है। नाग देवता की पूजा करने के साथ ही उन्हें मालपुआ चढ़ाना चाहिए। इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि से निर्मित नागों का पूजन करें। नाग देवता का रुद्राभिषेक कर नौ नागों को नदी में प्रवाहित करें। इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही इस मंत्र का करें जप: ओम कुरु कुल्ये हुं फट् स्वाहा।
आपको बता दें कि नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।