लखनऊ। यूपी के सरकारी कर्मचारियों की तीन दिन की हड़ताल में राज्य कर्मचारियों के एक गुट के साथ शिक्षक और कई संगठन भी जुड़ गए हैं। हड़ताल का अधिक असर शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यान, कृषि, लोक निर्माण, समाज कल्याण, खाद्य एवं रसद विभाग के कार्यालयों पर पड़ेगा, जबकि जवाहर भवन-इंदिरा भवन में भी कामकाज प्रभावित हो सकता है।
मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने कल दोपहर से पहले ही मांगों के लिए समिति गठित करने की घोषणा कर बात संभालने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारी नेताओं ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि परिषद ने जब बीते वर्ष 23 जुलाई 2015 को लक्ष्मण मेला मैदान में रैली की घोषणा की थी, तब तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने पर वार्ता कराने का आश्वासन देकर रैली को स्थगित करा दिया था। इस बार 13 जुलाई को परिषद ने जब मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया गया, तब मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने दो प्रमुख मांगों को अगली कैबिनेट बैठक में लाकर आदेश कराने का भरोसा दिलाया था, लेकिन मुख्य सचिव अपना वादा पूरा नहीं कर पाए।
राज्य कर्मचारियों की जिन मांगों पर सहमति बन चुकी है, उनमें मुख्य रूप से कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने, केंद्रीय कर्मचारियों के समान मकान किराया भत्ता देने तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की है।
इसी तरह जिन मांगों पर सहमति बननी है, उनमें केंद्रीय कर्मचारियों के समान भत्ते देने, निगमों में घाटे पर कर्मचारियों के वेतन से कटौती बंद करने, ठेकेदारी व्यवस्था बंद कर सीधी भर्ती करने के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइयों, ग्राम रोजगार सेवकों, मनरेगा कर्मी, एनएचएम कर्मियों व कंप्यूटर आपरेटरों को राच्य कर्मचारी घोषित करने की है।