राज्य सरकारें लगाएंगी जमाखोरी पर अंकुश

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नई दिल्ली (आरएनएस)। राज्य सरकारें आगामी त्यौहारों के दौरान आवश्यक जिंसों विशेषकर दाल दलहन की जमाखोरी पर नजर रखेंगी। प्रदेश सरकारें आवश्यक जिंसों के दाम उचित स्तर पर बनाये रखने के लिये फुटकर एवं थोक विक्रेताओं के मार्जिन (लाभ) को युक्तिसंगत रखने के लिये भी उनके साथ नियमित बैठकें करेंगी।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव हेम पांडे की अध्यक्षता में यहां हुई बैठक में ये फैसले लिये गये। राज्यों ने दालों के दाम नीचे रखने के लिये केन्द्रीय बफर स्टॉक से और आवंटन की मांग को लेकर भी सहमति दिखाई है। केन्द्रीय स्टॉक से ली जाने वाली दाल को खुदरा बाजार में अधिकतम 120 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जायेगा। राज्यों ने केन्द्र के बफर स्टॉक से अब तक केवल 7,000 टन दालों की ही उठाव किया है। बैठक आगामी त्यौहारी सत्र को देखते हुये आवश्यक जिसों विशेषकर दलहनों के दाम उचित स्तर पर रखने और मांग के अनुरूप उनकी आपूर्ति बनाये रखने के मुद्दे पर विचार विमर्श के लिये बुलाई गई। बैठक में राज्यों के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के प्रधान सचिवों ने भाग लिया। बैठक में दलहन और चीनी की उपलब्धता और राज्यों द्वारा विभिन्न जिंसों के लिये तय की गई स्टॉक सीमा की भी समीक्षा की गई ताकि थोक और खुदरा कीमतों के बीच मूल्य अंतर को कम किया जा सके। बैठक में केन्द्रीय बफर स्टॉक से दलहन के उठाव और डिब्बाबंद जिंस कानून को सख्ती से लागू करने के बारे में भी चर्चा की गई।
केन्द्र सरकार ने दलहन और चीनी की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश रखने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं। दलहन के मामले में सरकार स्थानीय खरीद और आयात के जरिये बफर स्टॉक बना रही है जबकि चीनी के दाम पर अंकुश के लियचे इसके निर्यात पर हाल में 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया है। एक सरकारी बयान में कहा गया है, कि बैठक में राज्यों ने सूचित किया कि हाल के सप्ताहों में दलहनों की कीमतों में नरमी आनी शुरू हुई है और इसमें आगे और गिरावट आने की उम्मीद है। राज्यों ने कहा कि त्यौहारों के करीब आने के मद्देनजर आवश्यक जिंसों पर स्टॉक सीमा लगाई गई है। आवश्यक जिंसों की जमाखोरी रोकने के लिए सख्त निगरानी की जायेगी।
केन्द्र सरकार ने कहा कि थोक बिक्री और खुदरा मूल्य में भारी अंतर है जो विभिन्न स्थानों पर सात प्रतिशत से 32 प्रतिशत के बीच है और यह चिंता का विषय है। बयान में कहा गया है कि इस तथ्य के मद्देनजर राज्यों ने थोक विक्रेताओं और फुटकर विक्रेताओं के साथ उनके मार्जिन को युक्तिसंगत रखने के लिए समय समय पर बैठक करने पर सहमति जताई है। राज्यों को आवश्यक जिसों की कीमतों की निगरानी के लिए सूचना तंत्र को मजबूत बनाने को कहा गया है और उसे विभिन्न बाजारों की स्थिति की दैनिक जानकारी केन्द्र को देने को भी कहा गया है। उन्हें ऐसे ‘रिपोर्टिंग सेन्टरों की संख्या को भी बढ़ाने को कहा गया है ताकि मूल्य सूचना देने की व्यापक व्यवस्था खड़ी की जा सके। केन्द्र सरकार ने कहा कि थोक बिक्री और खुदरा मूल्य में भारी अंतर है जो विभिन्न स्थानों पर 7 प्रतिशत से 32 प्रतिशत के बीच है और यह चिंता का विषय है।