देश में हो रहे हैं ऑनलाइन गांव

school-2यह खबर आश्चर्य मिश्रित खुशी देती है कि हाल में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या में जो इजाफा हुआ है, उसमें 75 फीसदी वृद्धि ग्रामीण भारत में हुई है। नैसकॉम की हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारत में जिस तेजी से इंटरनेट सेवा का विस्तार हो रहा है, अनुमान है कि वर्ष 2020 तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या दुगनी यानी 73 करोड़ हो जायेगी। जाहिर-सी बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का जो विस्तार हुआ है, उसमें बाजार की बड़ी भूमिका है। बड़े बाजार की तलाशमें मल्टीनेशनल व स्वदेशी कंपनियां लगातार इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सत्तर फीसदी इंटरनेट का प्रयोग मोबाइल फोन के जरिये हो रहा है। स्पष्ट है कि इसमें बड़ा हिस्सा युवा उपभोक्ताओं का है। यही वजह है कि मोबाइल, लेपटॉप, इंटरनेट डिवाइस, टीवी बनाने वाली कंपनियां भारतीय भाषाओं को ध्यान में रखकर अपने प्रोडक्ट बना रही हैं। ग्रामीण भारत को नजर में रखते हुए तमाम बड़ी मोबाइल कंपनियां ग्रामीण उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए भारतीय भाषाओं में हैंडसेट्स बनाने की दौड़ में शामिल हैं।
बहरहाल, ग्रामीण भारत में इंटरनेट का विस्तार चाहे मोबाइल क्रांति की देन हो या सोशल साइट्स की वजह से, मगर इतना तय है कि आने वाले दिनों में भारत की आत्मा करवट लेने वाली है। जिस ग्रामीण भारत को महात्मा गांधी भारत की आत्मा कहा करते थे, वह इस इंटरनेट क्रांति के लिये तैयार हो रही है। क्या यह क्रांति बाजार की आकांक्षाओं की वाहक बनेगी या ग्रामीण भारत की सामाजिक संरचना-सोच में भी बदलाव लायेगी या फिर अच्छे दिनों की आकांक्षाओं का उफान खड़ा कर फिर छले जाने का एहसास दिलाएगी दरअसल, सूचना माध्यमों के जरिये उम्मीदों का जो उफान भारतीय जनमानस के मन में उथल-पुथल मचा रहा है, धरती पर साकार करने की क्षमता सरकारों में नजर नहीं आती। जो कालांतर में हताशा का वाहक बनता है। यही वजह है कि देश के जिन राज्यों में अशांति व हिंसा का उफान नजर आता है, सबसे पहले इंटरनेट सेवाओं पर ही गाज गिरती है। जरूरत इस बात की है कि सूचना माध्यमों की गति के साथ ही शासन-प्रशासन को गतिशील, पारदर्शी व जवाबदेह बनाया जाये ताकि ये सूचना क्रांति देश के विकास का चेहरा संवार दे। देश में संवाद और समृद्धि की नई बयार बहने लगे।