वाह रे सरकार: यूपी के 2 करोड़ नौनिहाल: बिना किताब बेहाल

primery schoolलखनऊ। यूपी के 1 लाख 68 हजार 446 प्राथमिक विद्यालय के 1.90 करोड़ बच्चों को आजादी का 70वां साल बिना किताबों के मनाना पड़ा। यह पहली बार है जब प्रदेश के बच्चों को डेढ़ महीने से बिना किताबों के स्कूल जाना पड़ रहा है। अभी किताबें मिलने में एक महीनें और लगेगें। कायदे से एक जुलाई को स्कूल खुलने के बाद ही बच्चों को किताबें बांट देनी चाहिए थी। राज्य सरकार को सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को मुफ्त किताबें देनी होती है। शिक्षा विभाग इसकी तैयारियां पहले से करता है। इस साल किताबों के टेंडर को लेकर हुए खेल में मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। उप्र बेसिक शिक्षा विभाग के पाठ्य पुस्तक अधिकारी अमरेंद्र सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट से 31 मई को ही आर्डर हो चुका है। जिससे देरी हुई। अब अगले महीने तक किताबें पहुंच जाएंगीं। बेसिक शिक्षा सचिव अजय सिंह का कहना है कि जहां भी संभव हुआ हमनें बच्चों को पुरानी किताबें पढऩे के लिए दी है। उप्र भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उप्र की सपा सरकार बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रही है। स्कूल खुलने के इतने दिन बाद भी किताबें मुहैया नही करा सकी है। जबकि प्रदेश सरकार की गलती से मामला कोर्ट में गया। हाईकोर्ट से भी फैसला आने के बाद पर्याप्त समय मिला। लेकिन प्रदेश सरकार की इच्छा शक्ति बच्चों को किताबें देने में नही बल्कि दूसरे मामलों में ज्यादा है। उप्र कांग्रेस के संवाद विभाग के अध्यक्ष सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि उप्र सरकार की सपा सरकार ने बेसिक शिक्षा को बदहाल कर दिया है। बेसिक शिक्षा में लूट के चलते बच्चों को किताबें नही मिल पा रहीं है। सरकारी विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए हाईकोर्ट इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने 18 अगस्त 2015 को आदेश दिया था कि सभी सरकारी कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों एवं न्यायधीशों के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़े। परन्तु इतना समय बीत जाने पर भी सरकार द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया। राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून तार-तार है। उप्र की प्राथमिक शिक्षा का यह हाल तब है जब सत्तारूढ़ सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के सबसे करीबी अहमद हसन बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री है। बेसिक शिक्षा विभाग बदहाली के कागार पर पहुंच गया है। विभाग में शिक्षकों व अधिकारियों के तबादलों का खेल जारी रहने से इन सरकारी स्कूलोंं में पढ़ाई पूरी तरह चौपट है।
क्या कहता है शिक्षा का अधिकार कानून
देश में संविधान के 86वें संसोधन से 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 पारित है। यह निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के लिए केंद्र व राज्य का दायित्व निर्धारित करता है। प्रदेश में कक्षा एक से 8 तक के सभी वर्ग के बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक की व्यवस्था है। संविधान के अनुच्छेद -45 के राज्य नीति निर्देशक तत्वों में व्यवस्था है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क अनिवार्य शिक्षा दी जाएगी।

 मुफ्त बैग बांटेंगी सपा सरकार
चुनाव सिर पर है लैपटाप बांटने वाली उप्र की अखिलेश सरकार के मंत्रिपरिषद ने बुधवार को फैसला लिया कि प्रदेश के परिषदीय स्कूलों, मदरसों व माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित होने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मुफ्त बैग देगी। अभी तक बच्चों को मुफ्त में किताबें तो दी जा रही हैं, लेकिन बैग अभी तक नहीं दिया जा रहा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की कैबिनेट द्वारा किये गये फैसले पर सरकार की नियत पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह कैबिनेट का र्निणय सरकार की विदाई के समय किया गया चुनावी फैसला है। भाजपा अध्यक्ष ने कैबिनेट के फैसलों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा उप्र सरकार बच्चों को नि:शुल्क कापी-किताब तो आज तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। कक्षा 1 से 8 तक नि:शुल्क बस्ता उपलब्ध कराने की बात महज चुनावी शिगूफा है। कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों का विद्यालय में प्रवेश हुए दो माह के लगभग हो रहे होंगे, बच्चों को अब बस्ते की जरूरत अगले वर्ष होगी तब तक प्रदेश से समाजवादी पार्टी की सरकार की विदाई हो चुकी होगी।