स्वारूपानंद बोले: मुसलमान पकड़वाएं आतंकवादियों को

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लखनऊ। ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने कहा कि पूरी दुनिया में मुसलमानों को सन्देह के नजरों से देखा जाता है। चीन-जापान में नमाज पढऩे की इजाजत नहीं हैं। आइएसआइ जैसे संगठन आतंक का सहारा लेकर पूरे विश्व में कट्टरता फैला रहे हैं। ऐसे में मुसलमानों को चाहिये कि अपने प्रति उठने वाली सन्देह की नजरों से मुक्त होने के लिये आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकियों को खुद पकड़वायें। स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है यह एक जीवन प्रणाली है, यह कहने वाले लोग स्पष्ट करें वह कौन प्रणाली है जो हिन्दूधर्म प्रणाली से अलग है। वे ऐसी बातें करते हैं जिस शब्द का कोई अर्थ नहीं होता उसका उपयोग बुद्धजीवी लोग नहीं करते।
हरिद्वार से बयान जारी कर शंकराचार्य ने कहा है कि गौमाता सिर्फ हिन्दुओं की माता नहीं है वह मुसलमानों की भी माता है गौमाता के दूध से जितना प्रोटीन हिन्दुओं को मिलता है उतना ही प्रोटीन मुसलमानों को भी मिलता है जब कोई माता बच्चे को जन्म देने के बाद नहीं रहती है या फिर उनके स्तनों से दूध नहीं आता है तो गौमाता के दूध से बच्चे को प्रोटीन मिलता है उस समय गौमाता का दूध यह नहीं देखता कि या बच्चा हिन्दू का है या मुसलमान का है। गौरक्षा भारत के नागरिकों के हित में है। इसलिये भारतीय संविधान में गोरक्षा एवं गोसंवर्धन आवश्यक माना गया है। इसी के आधार पर देश के अनेक राज्यों में गौ हत्या के खिलाफ कानून बनाया गया है। जिसे कई बार कुछ लोग सुप्रीमकोर्ट में वैधानिक चुनौतियां भी दी किन्तु सुप्रीमकोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया है।
शंकराचार्य ने कहा कि आजादी के पहले से ज्यादा अत्याचार अब हो रहा है। आजादी के पहले स्कूलों में गीता रामायण पढ़ाया जाता था। लेकिन आज आजादी के बाद हिन्दू बच्चों के स्कूलों में गीता रामायण पढने वंचित किया गया है। धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं के साथ अत्याचार हो रहा है। धर्म निरपेक्षता का आशय है । शासन धर्म के आधार पर किसी के साथ पक्षपात न करे लेकिन करोड़ों हिन्दुओं परिवारों के इस देश में बच्चों को गीता रामायण स्कूलों में न पढ़ाना यह घोर अत्याचार है। शासन का धर्म होता है कि सभी को अपने-अपने धर्म के अनुरूप स्वतंत्रता होनी चाहिये। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि देश में हिन्दुओं धर्म के अनुयायी गौ को पूज्नीय मानते हैं। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने गौ चराया है और कहा कि मैं गौ के भीतर निवास करता हूॅं। गौमाता व्यवहारिक दृष्टिकोण से सदा ही उपयोगी रही है। इनका गोबर खाद के रूप में उपयोग होता है। मूत्र असाध्य रोग के औषधी के लिये उपयोगी है। दूध से पौष्टिकता हमारे शरीर को मिलता है तथा गौमाता के मृत्यु उपरान्त उनका चमड़ा व हड्डी भी उपयोग होता है। इस तरह गौ माता की उपयोगता हमारे जीवन में अति महात्वपूर्ण है। कुछ लोग यह कहते हैं कि गौमांस में अधिक पौष्टिकता होती है उन्हें मालूम होना चाहिये कि देश में करोड़ों ऐसे परिवार हैं जो मांसाहार नहीं करते हैं। उन्हें गौमाता के दूध से ही पौष्टिकता मिलती है उनके विषय पर भी उनको सोचना चाहिये । गौहत्या कानून बनाने वाले प्रदेश सरकार को चाहिये कि वह गौमांस बिक्री के खिलाफ भी कानून बनायें। प्रतिबन्धित राज्य से मुक्त कानून वाले राज्य में गौमाता को ले जाकर काटने वाले लोग या तो पुलिस को पैसा देकर जाते हैं। या फिर हथियार से लैस लोग पुलिस पर भी हमला करते हैं। वे लोग दलित नहीं हैं। वे कौन हैं प्रधानमन्त्री नरेन्द्रमोदी को पता लगाना चाहिये।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि हमारे हरिजन भाई प्राचीनकाल से चमड़ा का व्यवसाय करते आ रहे हैं यह उनका धर्म है इसलिये वे कभी भी निन्दनीय नहीं हैं। और इन्हें प्रताडित दण्डित किया जाना एक अपराध है जो दलितों पर ऐसा कर रहे है वह अपराध हैं उनके खिलाफ सरकार दण्डात्मक करर्वायी करें। हरिभाइयों को चाहिये कि उनके ऊपर सन्देह न करे इसलिये वे लोग जीवित पशुओं का मांस छीलने वालों को पकडकऱ समाज से बहिस्कृत करें यदि वो ऐसा करते हैं तो उनको कोई भी सन्देह की नजर से नहीं देख सकेगा।