सीएजी की रिपोर्ट: यूपी में महिलाओं के हालात बदतर

rapeलखनऊ। भारत के नियंत्रक महा लेखा परिक्षक (सीएजी) ने कहा है कि उप्र में महिलाओं की स्थिति ठीक नही है। मंगलवार को उप्र विधानसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में पिछले पांच वर्षो में निरंतर वृद्धि हुई है। 2010-15 के दौरान महिला अपराधों 61 प्रतिशत बढ़े है। पिछले एक वर्ष में बलात्कार के मामले 43 प्रतिशत और अपहरण के मामले 21 प्रतिशत बढ़ेे है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शील भंग के मकसद से महिलाओं पर हुए हमले में बढ़े है, जिसकी 55 प्रतिशत शिकार नाबालिग लड़कियाँ थी। 2013-14 में महिलाओं पर हमले 73 प्रतिशत बढ़ गए। यदि उप्र में पुलिस की 55 प्रतिशत कमी को पूरा करने पर ध्यान नही दिया गया तो आगे अपराध और बढ़ सकते है। केन्द्र सरकार ने प्रदेश को पुलिस में महिलाओं की संख्या 33 प्रतिशत ने की सलाह दी थी। प्रदेश पुलिस में महिलाओं की संख्या महज 4.55 प्रतिशत हैं। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार से मिले 15.03 करोड़ का इस्तेमाल ही नही किया। यह राशि बलात्कार पीडि़तों को वित्तीय सहायता देने में इस्तेमाल की जानी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैफिकिंग रोकने के लिए उज्जवला योजना पर खर्च नही किया गया। राज्य के 11 जिलों में से 13 उज्जवला परियोजनाएं शुरू की गई थी। नेपाल से सटे इलाके में एक भी उज्जवला केन्द्र नही बनाया गया। जबकि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदन में नेपाल सीमा करे ट्रैफिकिंग के लिए बेहद सहज मार्ग बताया गया है। इतना ही नही महिला सशक्तिकरण पर सीएजी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 46 प्रतिशत महिलाएं घरेलू अप्रशिक्षित प्रसव के लिए मजबूर है। मातृ मृत्यु रोकने के लिए बीते पांच सालों में दी गई 7.22 करोड़ में से सिर्फ 1.70 करोड़ ही खर्च किया गया। रिपोर्ट में आंगनबाड़ी व परिवार नियोजन कार्यक्रमों पर अमल में ढेरों कमियों का जिक्र है। रिपोर्ट में कई सुक्षावों के साथ कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को काबू में करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल सुनिश्चित करना चाहिए।