आ रहे हैं विघ्र विनाशक मंगलमूर्ति श्री गणेश

ganesh utsavफीचर डेस्क। भगवान श्री गणेश के आगमन का उत्सव शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं। आगामी 5 सितम्बर से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। देश भर में 5 सितम्बर से गणपति बप्पा मोरया के नारे पूरे वायुमंडल में फैल जायेंगे।
मालूम हो कि गणेशोत्सव श्री बाल गंगाधर तिलक ने 100 बरस पूर्व अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने के लिए आयोजित किया था जो कि धीरे-धीरे पूरे राष्ट्र में मनाया जाने लगा है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरश: लिखा था।
10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोली तो पाया कि 10 दिन की अथक मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया है। तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के कुंड में ले जाकर ठंडा किया था। इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है। भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है।
गणेश देव: वे अग्रपूज्य, गणों के ईश गणपति, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं। उनके स्मरण मात्र से ही संकट दूर होकर शांति और समृद्धि आ जाती है।
माता-पिता : शिव और पार्वती।
भाई-बहन : कार्तिकेय और अशोक सुंदरी।
पत्नी: प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि।
पुत्र : सिद्धि से क्षेम और ऋद्धि से लाभ नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है।
जन्म समय: अनुमानत: 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की चतुर्थी अर्थात आज से 12,016 वर्ष पूर्व।
प्राचीन प्रमाण: दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है।
गणेश ग्रंथ: गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेशजी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र।
गणेश संप्रदाय : गणेश की उपासना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते हैं।