एक देश, एक चुनाव: प्रेसीडेंट प्रणव सहमत

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सन् 1947 में अंग्रेजों से भारत को आजादी मिलने के बाद संसदीय लोकतंत्र को चुनना और अपना संविधान बनाना एक बड़ी घटना थी, जिसका देश साक्षी बना। शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति भवन परिसर में राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय के विद्यार्थियों के एक समूह के साथ बातचीत में मुखर्जी ने कहा, आजादी के बाद तीन साल के अंदर संविधान बनाकर एक बड़ा काम किया गया था। उन्होंने कहा कि विविधता भारत की ताकत है और इसे पूरी तरह बनाए रखने में संविधान ने मदद की है।
आजादी के बाद भारत की राजनीति पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने उन शुरुआती दिनों में भारत के समक्ष रही चुनौतियों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, सांप्रदायिक सौहाद्र्र एक बड़ी चुनौती थी। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि विभाजन के कारण लोग परेशान थे, इसलिए सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुए थे।
मुखर्जी ने कहा कि यद्यपि हमारे राजनेता लोगों के बीच सौहाद्र्र बनाए रखने में सफल रहे और भारत में धर्मनिरपेक्षवाद जीवन का एक हिस्सा है। राष्ट्रपति ने कहा, हां, देश में आतंकी हमले हुए हैं, लेकिन शुक्र है कि यह (आतंक) देसी नहीं है। हम पर बाहर से हमले हुए हैं। हम सीमा पार आतंकवाद से पीडि़त हैं। आर्थिक पक्ष पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए सामाजिक क्षेत्र में प्रदर्शन जरूरी है।
मुखर्जी ने कहा, सामाजिक क्षेत्र का समग्र विकास होना चाहिए, जिसमें अन्य चीजों के साथ स्वास्थ्य और सामाजिक बुनियादी ढांचा शामिल हैं। सामाजिक वितरण और समता के साथ विकास भी जरूरी है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने के विद्यार्थियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के अंदर यह विचार बन रहा है कि दोनों चुनाव एक साथ होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपना विचार रख सकता है और चुनाव कराने का प्रयास कर सकता है। मुखर्जी ने आजादी के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और मोर्चों के विकास के बारे में भी विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले कांग्रेस के साथ रहने वाले कई गुट पार्टी से निकल गए और उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियां बना लीं।
देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (पांच सितंबर, 1888) के जन्म दिन को भारत शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है। राधाकृष्णन शिक्षा के दृढ़ समर्थक थे। वह एक प्रसिद्ध राजनेता और विद्वान थे। इन सबसे बढ़कर पूर्व राष्ट्रपति एक शिक्षक थे। शिक्षक दिवस समाज के प्रति शिक्षकों के योगदान को नमन करने का एक अवसर है।