भाजपा के स्वामी ने बताया आजम को अक्ल से पैदल

swami-prasad-maurya-बरेली। पूर्व मंत्री और भाजपा में नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर पर उंगली उठाने वाले अक्ल से पैदल नेताओं से उम्मीद भी क्या की जा सकती है। बाबा साहब की अंगुली दिल्ली की संसद की ओर इशारा करती है। वह कहते है कि देश की बेहतरी चाहते हो तो केंद्र में सरकार बनाओ। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेताओं को ऐसे बेतुके बयानों से बचना चाहिए। बोले, वास्तव में सपा का लीडिंग एजेंडा यही है।
पीलीभीत बाईपास स्थित एक बैंक्वेट हॉल में मंगलवार को हुए मौर्य समाज के मंडलीय कार्यकर्ता सम्मेलन में स्वामी प्रसाद जमकर गरजे। बसपा खासतौर से निशाने पर रही। उसे छोडऩे और भाजपा से जुडऩे की वजह भी बताई। कहा कि संस्थापक कांशीराम ने नारा दिया था, जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी। उनके बाद मायावती ने उसे बदलकर जिसकी जितनी तैयारी उसकी उतनी भागीदारी कर दिया। तैयारी यानी पैसे वाला, बाहुबली, संसाधन संपन्न, जबकि कांशीराम की विचारधारा नीचे के तबके को ऊपर उठाने की थी। मायावती समाज के लिए नहीं सिर्फ नोट बटोरने का काम कर रही हैं, इसलिए बसपा छोड़ दी। अब बसपा नंबर एक से तीन पर खिसक गई। बोले, लखनऊ के अंबेडकर मैदान में 21 सितंबर को महारैली कर मायावती के घमंड को चकनाचूर करूंगा। अमित शाह भी मौजूद रहेंगे। इसीलिए साथियों आपको रैली में शामिल होने को न्योता देने आया हूं..।
स्वामी ने कहा कि दलितों और पिछड़ों की बात करने वाले कांशीराम से प्रभावित होकर 20 साल पार्टी में ईमानदारी से काम किया। मायावती ने अंबेडकर और कांशीराम दोनों के विचारों का सौदा करना शुरू कर दिया। दलितों के वोटों की सौदागर बन गईं। वर्ष 2012 के चुनावों में मोटी रकम लेकर टिकट बांटे। नतीजा यह हुआ कि 80 सीटों पर ही पार्टी सिमट गई। उस वक्त चुनावी दौर था सो विरोध नहीं किया। फिर लोकसभा चुनाव में भी सीटें बेची गईं। एतराज जताया तो मोदी की लहर बताकर आर्थिक मजबूत प्रत्याशियों को उतारने की बात कही। एक भी सीट नहीं निकल पाई। तब लगा कि सारा खेल तिजोरी भरने को किया गया। अब सुरक्षित सीट के लिए डेढ़ से दो करोड़, पिछड़ा प्रत्याशी से तीन से पांच करोड़ और सामान्य प्रत्याशी से चार से दस करोड़ की डिमांड है। पैसे की हवस में अंधी मायावती ने ग्राम पंचायत चुनाव में भी ढाई से पांच लाख तय किए।