इलेक्ट्रीसिटी संशोधन बिल के विरोध में 12 लाख बिजली कर्मचारी करेंगे हड़ताल

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जनसंदेश न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। इलेक्ट्रीसिटी संशोधन बिल 2014 के विरोध में देश के 12 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर संसद के मानसून सत्र में एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। यह हड़ताल संशोधन बिल के संसद में पेश होने वाले दिन होगी। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लोयीस एण्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की ओर से हड़ताल की नोटिस प्रधान मन्त्री सहित सभी प्रदेशों के मुख्य मन्त्रियों को भेज दी गयी है।
इलेक्ट्रीसिटी संशोधन बिल 2014 के विरोध में आल इन्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की फेडरल एग्जीक्यूटिव ने भी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लोयीस एंड इन्जीनियर्स के फैसले के अनुसार राष्ट्रव्यापी संघर्ष का ऐलान कर दिया है। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने जानकारी यहाँ दी। उन्होंने बताया कि लोक सभा की बिजली मामलों की स्टैन्डिंग कमेटी एवं इसके चेयरमैन डा. किरीट सोमैय्या को जनवरी में विस्तृत ज्ञापन भेज कर प्रस्तावित संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की गयी थी और स्टैन्डिंग कमेटी के समक्ष अपनी बात रखने हेतु समय माँगा था। बार बार अनुरोध के बावजूद कमेटी ने आल इंडिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन या किसी भी कर्मचारी या उपभोक्ता फेडरेशन को समय नहीं दिया और अपनी एक तरफा रिपोर्ट दे दी, जिसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। अब इलेक्ट्रीसिटी संशोधन बिल 2014 को संसद के मानसून सत्र में पारित कराने की योजना है। एनसीसीओईईई की दिल्ली में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संसद के मानसून सत्र में इलेक्ट्रीसिटी संशोधन बिल 2014 जिस दिन बहस के लिए लाया जायेगा उस दिन देश के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर विरोध स्वरुप एक दिन की हड़ताल करेंगे।
एनसीसीओईईई की बैठक में वरिष्ठ मजदूर नेता ए बी बर्धन के अलावा आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ए आल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन ए इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लोईस फेडरेशन ऑफ इंडिया, आल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लोईस, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन, आल इंडिया पावरमेंस फेडरेशन फेडरेशन के अध्यक्ष और महामंत्री सम्मिलित थे । आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कोऑर्डिनेशन कमेटी के निर्णय का अनुमोदन करते हुए राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैय्यारी शुरू कर दी है । मानसून सत्र शुरू होने के पहले पूरे देश में क्षेत्रीय और प्रांतीय सम्मलेन आयोजित कर बिल के जन विरोधी प्राविधानों से आम जनता को अवगत कराया जायेगा ।
शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिल के विरोध में प्रधान मंत्री और सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की जाएगी कि बिल को जल्दबाजी में पारित न किया जाये और बिजली की बेहतरी हेतु बिजली इंजीनियरोंए कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं की इस बारे में राय ली जाये। उन्होंने प्रस्तावित संशोधनों को जन विरोधी करार देते हुये कहा है कि संशोधन बिजली आपूर्ति के निजीकरण हेतु किया जा रहा हैए जिसमें निजी घरानों के मुनाफे का खास ध्यान रखा गया है जबकि आम जनता पर टैरिफ में भारी वृद्धि का बोझ डालने की तैयारी हैं।