रूरल इनकम बढ़ाने के लिए हैंडीक्राफ्ट पर मोदी सरकार का जोर

handycfaftनई दिल्ली (आरएनएस)। नरेंद्र मोदी सरकार रुरल हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा दे रही है। सरकार इसके जरिए रूरल एरिया में रहने वाले लोगों की आजीविका सुनिश्चित करने के साथ उनकी इनकम भी बढ़ाना चाहती है। रूरल डिवेलपमेंट मिनिस्टर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, रूरल हैंडीक्राफ्ट के लिए हमें एक मार्केटिंग प्लेटफॉर्म की जरूरत है। हम अभी मौजूदा फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रहे हैं। हम देख रहे हैं कि इस फ्रेमवर्क में कहां पर लूपहोल हैं और इसे कैसे भरा जा सकता है।
5 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) की इस इंडस्ट्री में ज्यादातर लोग कारीगर (आर्टिजन) हैं और इस क्षेत्र में एंप्लॉयमेंट की बड़ी संभावना है। हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री में बना करीब 60 पर्सेंट प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट किया जाता है। तोमर ने कहा कि मेट्रो शहरों और विदेशी मार्केटों में ग्रामीण हाट जैसे कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए, इससे हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा मिलता है।
अभी देश में 27 लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हैं, जिनमें 3 करोड़ लोग ग्रामीण आजीविका प्रोग्राम से जुड़े हुए हैं। तोमर ने कहा कि अगर हैंडीक्राफ्ट प्रॉडक्ट्स को मार्केट के हिसाब से बनाने की जरूरत हुई तो हम उस पर काम करेंगे। अभी इस सेक्टर से 15 करोड़ से ज्यादा लोगों का घर चल रहा है। हमारी कोशिश है कि हैंडीक्राफ्ट से जुड़ी पॉलिसी को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है जिससे इस सेक्टर पर डिपेंड रहने वाले लोगों को अच्छी कमाई करने का मौका मिले। अगर जरूरत हुई तो सरकार इस सेक्टर से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग भी देगी।
तोमर ने कहा कि सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को लेकर अलग-अलग राज्यों की अपनी पॉलिसी हैं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के बनाए गए मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्ट्स को सीधे गांव से मार्केट तक पहुंचाया जाए। मौजूदा रिटेलिंग स्ट्रक्चर में कई बिचौलिए हैं, जिनके चलते कारीगरों को उनके प्रॉडक्ट्स का सही दाम नहीं मिल पाता। अगर सेल्फ हेल्प ग्रुप्स में बना प्रॉडक्ट सीधे मार्केट में पहुंचेगा तो इससे कारीगरों को प्रॉडक्ट्स की सही कीमत मिलेगी।
हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट उन चुनिंदा आइटम्स में से एक है, जिस पर मौजूदा ग्लोबल ट्रेड क्राइसिस का कोई असर नहीं हुआ है। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2016 में इंडिया से हैंडीक्राफ्ट का एक्सपोर्ट 3.2 अरब डॉलर का रहा जो पिछले साल 3 अरब डॉलर का था। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना रूरल एरिया में लोगों की स्किल्स को बढ़ावा देने में मदद कर रही है।