डायरेक्टर ने कॉम्प्रमाइज करने को कहा : सुरवीन चावला

surveenफीचर डेस्क। टेलीविजन इंडस्ट्री से बॉलिवुड में अपनी जमीन तलाश रहीं ऐक्ट्रेस सुरवीन चावला जल्द ही अजय देवगन के द्वारा प्रड्यूस की गई लीना यादव निर्देशित फिल्म पार्च्ड में नजर आने वाली हैं। फिल्म में सुरवीन एक सेक्सवर्कर के किरदार में हैं। ट्रेलर में सुरवीन के बोल्ड अंदाज को काफी पसंद भी किया जा रहा है। सुरवीन के अनुसार पार्च्ड नारीवाद और महिला सशक्तीकरण को दर्शाती है।
जब लीना ने कहा, तू ही है मेरी बिजली
मैं हमेशा से पार्च्ड जैसी फिल्मों का हिस्सा बनना चाहती थी। जब मुझे इस फिल्म के बारे में पता चला, तो मैं काफी उत्साहित हो गई। फिल्म में इस किरदार के लिए मुझे तीन स्क्रीन टेस्ट्स से गुजरना पड़ा। फिल्म में पहले दो टेस्ट अलग-अलग सीन्स के वास्ते लिए गए और तीसरा टेस्ट डांस को लेकर था। स्क्रीन टेस्ट के बाद जब मुझे फिल्म की डायरेक्टर लीना यादव का कॉल आया और उन्होंने कहा कि तू ही है मेरी बिजली तो मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी। दरअसल, इस फिल्म में मेरे किरदार का नाम बिजली है। मैं अपने रोल को लेकर काफी उत्साहित थी। बिजली का किरदार बहुत ही स्ट्रॉन्ग और विविधरंगी है।
बिजली डांसर भी है और सेक्सवर्कर भी
सुरवीन बताती हैं कि यह फिल्म गांव में रहने वाली तीन महिलाओं की जर्नी की कहानी है। मेरा किरदार बिजली नाम की एक महिला का है, जो एक नाटक कंपनी में काम करती है। साथ ही वह एक सेक्स वर्कर भी है, लेकिन वह आम लड़कियों की तरह ही सोचती है और उसके भी कुछ सपने हैं। वह अपना घर बसाना चाहती है और एक सच्चे प्यार की तलाश में है। दुनिया को दिखने वाली बिजली और बिजली के अंदर छुपी असली औरत में जमीन-आसमान का फर्क है। बिजली एक अंतरद्वंद्व की लड़ाई में जरूर फंसी है, लेकिन वह कमजोर नहीं है। उसे अपना हक छीनना भी आता है। जब बिजली बाकी दो महिलाओं से मिलती है, तो उन्हें भी सिखाती है कि कैसे अपने डर से आगे निकल जिंदगी को जीएं।
खुद के बारे में गलत धारणा थी
जब मैं चंडीगढ़ से मुंबई आई थी, तो लगता था कि मैं बहुत ही मॉडर्न और प्रोग्रेसिव सोच रखने वाली लड़की हूं। लेकिन सच कहूं, तो जब मैंने पार्च्ड में काम किया, तो मुझे एहसास हुआ कि खुद के बारे में मेरी धारणा कितनी गलत थी। भले ही मैं इस चीज को कितना भी नकार लूं, लेकिन आज मैं मानती हूं कि मैं जजमेंटल थी। सेक्सवर्कर्स को लेकर मेरी अपनी सोच थी। मैं हर उस चीज को लेकर जजमेंटल थी, जो मेरे कंफर्ट जोन से बाहर की थी। लेकिन इस फिल्म ने मेरी इस सोच को पूरी तरह से बदल डाला। जब मैंने सेक्सवर्कर बिजली का किरदार निभाया, तब जाकर मुझे सेक्स वर्कर्स की मजबूरी और परिस्थितियों के बारे में समझ आई। प्रॉस्टिट्यूशन उनके लिए एक प्रफेशन की तरह ही है। हम लोगों ने बेवजह इसे हौआ बना दिया है। मैं पार्च्ड का तहे दिल से शुक्रिया करना चाहूंगी, क्योंकि इस फिल्म ने मुझे एक इंसान के रूप में काफी बदला है।
अब परवाह नहीं किसी की सोच की
मुंबई में स्ट्रगल वाले दिनों में जब मैं पीजी में रहती थी, तो वहां मुझे कई तरह के सवालों से गुजरना पड़ता था। शूटिंग से लेट आने पर वहां की ओनर मुझसे कहती थी कि मेरे घर में यह सब नहीं चलेगा और वह मेरे प्रफेशन को बेहद ही नीची नजरों से देखा करती थी। एक औरत ही अगर दूसरी औरत के बारे में यह सोच रखे, तो फिर समाज में बदलाव तो आने से रहा। मैंने फौरन वह घर छोड़ दिया। मुझे लोगों की ऐसी सोच से पहले बहुत तकलीफ होती थी। मेरे ज्यादातर दोस्त लड़के हैं, तो कई लोगों को इससे भी प्रॉब्लम होती थी। वे मेरे बारे में गलत धारणा बनाते थे। पहले बुरा लगता था, लेकिन अब मैं इसकी परवाह नहीं करती।
जिंदगी में ऐसे मोमेंट भी आने चाहिए
एक औरत के रूप में मैंने कई बार खुद पर गर्व महसूस किया है, तो कई बार मुझे हीनता का शिकार भी होना पड़ा है। हाल ही की बात है। एक साउथ की फिल्म के लिए मुझे ऑफर आया। जब डायरेक्टर से फोन पर बात हुई, तो उन्होंने मुझे अपनी फिल्म में रोल के लिए कॉम्प्रमाइज करने को कहा। उनका इशारा शारीरिक संबंध बनाने से था। पता नहीं उस वक्त मेरे अंदर कहां से कॉन्फिडेंस आ गया। पहले तो मैंने उन्हें मना कर दिया, लेकिन दोबारा उनका कॉल आया तो मैंने गुस्से से उबलते हुए उन्हें खूब खरी-खोटी सुना दी। मैंने कहा कि एक रोल की खातिर मैं अपने शरीर को नहीं बेच सकती। मुझे लगता है कि जिंदगी में ऐसे मोमंट भी आने चाहिए, तब ही हम खुद की स्ट्रेंथ को पहचान पाएंगे। मुझे खुद पर गर्व है कि आज मैं जो भी हूं, खुद के दम पर हूं। मैंने अपनी शर्तों पर काम किया है। मुझे कभी भी मजबूरी में कुछ नहीं करना पड़ा। मेरे पैरंट्स ने हर कदम पर मेरा सपॉर्ट किया है।
मैंं और राधिका अच्छे दोस्त बन गए
पार्च्ड में मेरे ज्यादातर सीन राधिका आप्टे के साथ ही थे, तो ऐसे में सेट पर हमारे बीच गहरी दोस्ती हो गई थी। जब मैं, राधिका और तनिष्ठा साथ में होते थे, तो जमकर मस्ती-मजाक करते थे। सबसे मजेदार बात यह थी कि सेट पर लड़कियों की संख्या ज्यादा थी। चूंकि फिल्म की कहानी औरतों की मनोस्थिति और उनके द्वारा लिए गए साहसिक कदम पर आधारित थी, तो सेट पर भी वह बोल्डनेस देखने को मिलती थी। हम सभी लड़कियां जब सेट पर बेधड़क पीरियड्स के बारे में बात करती थीं, तो वहां मौजूद लड़के काफी असहज हो जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे उस माहौल में रहते हुए वे हमारे प्रति काफी संवेदनशील हो गए। वे हमारे संग रहकर हमारी ही तरह बर्ताव करने लगे थे।