संघ ने 90 साल बाद छोड़ी खाकी निकर

rss-dressनई दिल्ली। संघ कार्यकर्ता के अब भूरे रंग के (ब्राउन) फुलपैंट, सफेद शर्ट और काली टोपी पहनेंगे। इसके अलावा उनका मोजा पहले के खाकी की जगह गहरे भूरे रंग का होगा। हालांकि बांस की लाठी उनके यूनिफॉर्म में बनी रहेगी। उत्तरी और पूर्वी राज्यों के कार्यकर्ता सर्दियों में गहरे भूरे रंग के स्वेटर पहनेंगे। ऐसे एक लाख स्वेटर की पहली खेप के लिए ऑर्डर दिए जा चुके हैं। संघ के मीडिया विभाग के प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर संघ के साथ काम करने वाले लोग बढ़े हैं। ऐसे में कामकाज की सुविधा के लिए यूनिफॉर्म में बदलाव किया गया है। यह बदलाव समय के साथ संघ में होने वाले परिवर्तन को बताता है। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म में बदलाव पर 2009 में विचार हुआ था लेकिन यह आगे नहीं बढ़ सका।
इस प्रस्ताव को 2015 में फिर से रखा गया। विचार-विमर्श के बाद संघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं में यूनिफॉर्म बदलने पर सहमति बनी। इसके बाद कुछ महीने पहले संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने इसे मंजूरी दी। संघ के नेता राजीव तुली ने कहा कि संघ लचीला संगठन है जो समय के हिसाब से बदलता रहता है। इसी के अनुरूप पहनावे में बदलाव हुआ। यूनिफॉर्म में बदलाव युवा पीढ़ी को संघ के साथ जोडऩे की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ता दशहरे के दिन 91 साल बाद खाकी हॉफ पैंट के बजाए खाकी रंग की पतलून में नजर आए। गणवेश का हिस्सा बनी इस नई पतलून के साथ आरएसएस के स्थापना दिवस विजयादशमी पर निकला पथ संचलन द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय से शुरू हुआ। पतलून की कमी के कारण इस बार मंगलवार को सिर्फ गुडग़ांव महानगर में ही पथ संचालन आयोजित हुआ। 16 अक्तूबर को मानेसर महानगर के वार्ड एक में दूसरा आयोजन होगा। सबसे पहले शस्त्र पूजा की गई उसके पश्चात बौद्धिक के अंतर्गत वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारियों ने स्वयं सेवकों को संबोधित किया। प्रांत कारवाह देव प्रसाद . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता 90 साल पुराने पहनावे खाकी हाफपैंट को छोड़ कर फुलपैंट धारण करेंगे। शुक्रवार को आरएसएस के स्थापना दिवस दशहरा से संगठन के यूनिफॉर्म में बदलाव होगा।