यूपी चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस का आरक्षण कार्ड

congress2नई दिल्ली (आरएनएस)।  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करिश्मे की उम्मीद में सब कुछ झोंक रही कांग्रेस ने अब ओबीसी के 27 फ ीसद आरक्षण में अति पिछड़ी जातियों (एमबीसी) के लिए अलग से आरक्षण कोटे का दांव चलने का फैसला किया है। पार्टी ने कहा है कि ओबीसी के लिए मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था का केवल कुछ जातियों को ही अब तक फ ायदा मिल रहा है। अत्यंत पिछड़ी जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए उनके लिए आरक्षण में अलग से कोटा तय होना चाहिए। कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण में अलग से एमबीसी कोटा लागू करने को उत्तर प्रदेश के अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल करने का एलान किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रदेश के अत्यंत पिछड़ी जाति के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इसके बाद उप्र के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के इस रुख की घोषणा की। आजाद ने कहा कि एमबीसी से ताल्लुक रखने वाले सौ से अधिक नेताओं से राहुल गांधी की हुई चर्चा में सबकी राय यही थी कि ओबीसी आरक्षण का फायदा केवल दो-तीन जातियों और उनकी उपजातियों को ही हुआ है। इसलिए कांग्रेस ने तय किया है कि उप्र के चुनाव घोषणापत्र में ओबीसी के 27 फीसद आरक्षण के अंदर ही एमबीसी के लिए अलग से कोटे के प्रावधान का वादा किया जाएगा। आजाद ने कहा कि उप्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो इसे छह महीने में लागू करने की कोशिश होगी। उप्र कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अति पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजाराम पाल की पहल पर पार्टी हाईकमान ने इन नेताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें आरक्षण कोटे के भीतर अलग से कोटे को चुनावी वादे में शामिल करने पर सहमति बनी।
आजाद ने कहा कि ओबीसी कोटे में राष्ट्रीय स्तर पर अभी बदलाव की बात कांग्रेस नहीं कर रही क्योंकि इसमें कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। मगर राज्यों में ओबीसी कोटे के भीतर अलग से अत्यंत पिछड़ों के लिए कोटा देने में कोई संवैधानिक या कानूनी बाधा नहीं है। तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार समेत दस राज्यों में ओबीसी कोटे के भीतर अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान लागू है। इसमें से अधिकांश राज्यों में यह प्रावधान कांग्रेस की वहां की प्रदेश की सरकारों के समय लागू हुए। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भी कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को साढ़े चार फीसद अलग से आरक्षण देने का बड़ा दांव चला था। लेकिन पहले चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगाई और फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कांग्रेस के सियासी दांव को पंक्चर कर दिया था।