नोट बंदी पर संसद में सरकार को घेरेगी सपा

mulayam-akhilesh-लखनऊ। पांच सौ और एक हजार के नोट बंद करने के फैसले से किसान व मध्य वर्ग की दुश्वारी राज्यसभा में उठाने की रणनीति तय करने के लिए समाजवादी पार्टी ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई। इसमें केंद्र के फैसले के खिलाफ संसद में मोदी सरकार को घेरने की रणनीति तय कर संसद में मोदी सरकार को घेरा जाना है। संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से होने रहा है।
बैठक में राज्यसभा में सपा दल के नये नेता के नाम पर चर्चा होगी। कई अन्य दावेदारों के साथ रेवती रमण सिंह व संजय सेठ के नाम पर चर्चा संभव है। बोर्ड राज्यसभा सचेतक के बदलाव करने का निर्णय ले सकता है। बैठक सुबह 11 बजे शुरु होगी । राज्यसभा में सपा के नेता रहे रामगोपाल यादव को पार्टी ने निकाल दिया था। सूत्रों की माने तो संजय सेठ या रेवती रमण सिंह का नाम राज्यसभा के लिए तय हो सकता है। राज्यसभा में सपा के सदस्यों की अगुआई करने वाले प्रो.राम गोपाल यादव फिलहाल सपा से निष्कासित हैं। उनके स्थान पर बेनी प्रसाद वर्मा को नेता बनाने का प्रस्ताव था, मगर वह कतिपय कारणों से राजी नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है, जिसमें करीब आते चुनाव के मद्देनजर केन्द्र सरकार की घेरेबंदी की रणनीति तय होगी। पांच सौ व हजार के नोट अमान्य घोषित को आर्थिक इमरजेंसी की संज्ञा देने वाली समाजवादी पार्टी ने संसद में भी फैसला लागू करने के तरीकों के विरोध का एलान किया था।
सूत्रों का कहना है कि सपा केन्द्र पर राज्य सरकार के साथ भेदभाव करने का इल्जाम जोर-शोर से उठायेगी, मुख्य रूप से आर्थिक मदद में कटौती का मामला उठाने पर मंथन करेगी। इसके अलावा राज्यसभा में पार्टी का नया नेता चुनने पर भी चर्चा होगी। दरअसल, समाजवादी परिवार में संग्र्राम के दौरान मुलायम सिंह यादव ने अपने चचेरे भाई प्रो.राम गोपाल यादव को सपा से निष्कासित कर दिया था, वह राज्यसभा में सपा सदस्यों के नेता हैं। निष्कासित व्यक्ति को पार्टी का नेता बनाये रखने में तकनीकी दिक्कत को देखते हुए संसदीय दल की बैठक में उनके विकल्प पर चर्चा होगी। संभव नए नेता के नाम का चयन भी हो जाए। अब तक बेनी प्रसाद वर्मा का नाम सबसे ऊपर था, मगर उनके इन्कार के बाद रेवती रमण सिंह, रवि प्रकाश वर्मा का नाम दावेदारों में है। चर्चा यह भी है कि परिवार के सभी सदस्यों के करीब समझे जाने वाले संजय सेठ के नाम पर भी विचार कर सकती है। हालांकि पहली बार का सदस्य होना उनकी राह में रोड़ा है। सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड राज्यसभा में पार्टी के सचेतक पद पर भी बदलाव का फैसला कर सकता है। इसके अलावा विधानसभा चुनावों में पार्टी अंदरूनी कलह और पारिवारिक विवाद को किनारे रखकर किस तरह उतरे, इसे लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है।