ममता उवाच: नोटबंदी है तुगलकी फरमान

mamtaनई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्तव में तीन पार्टियों के करीब तीस सांसदों ने बुधवार को राष्ट्रपति प्रणव मु$खर्जी से मिलकर नोटबंदी को तत्काल वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करने और देश की आम जनता को इस गंभीर समस्या से राहत दिलाने की मांग की। बनर्जी के नेतृत्तव में इन सांसदों ने संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया और उसके बाद मुखर्जी से मुलाकात करके उन्हें इस बारे में एक ज्ञापन भी दिया।
मार्च में केन्द्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल शिवसेना के अलावा नेशनल कान्फ्रेंस और आम आदमी पार्टी के भी सांसद शामिल थे। मुखर्जी के साथ करीब आधे घंटे की बैठक के बाद बनर्जी ने कहा, हम काले धन के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से बिना किसी योजना और तैयारी के यह फैसला लिया गया है, हम उसके खिलाफ हैं क्योंकि इससे देश की गरीब जनता परेशान हो रही है और आम जनता को फंसा दिया गया है। यह फैसला तो मोहम्मद बिन तुगलक की तरह है जिसने एक दिन अचानक राजधानी बदलने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि बड़े नोटों को बंद करने के मामले में सभी के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था। मोदी सरकार के इस फैसले से वित्तीय और संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। इसलिए हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वह तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करके सरकार से बात करें और जनता को $फौरन राहत दिलाएं।
बनर्जी ने कहा कि आज आठ दिन हो गए, लेकिन जनता को कोई राहत नहीं है, उल्टे इन आठ दिनों में दो लाख करोड़ का नुकसान भी हो गया। सरकार ने जो स्वैच्छिक जमा योजना शुरू की थी उसके तहत 65 ह•ाार करोड़ रुपए प्राप्त होने की घोषणा हुई लेकिन अब तक उसका एक भी पैसा जमा नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले कुछ महीनों में बैंको में काफी काला धन जमा हुआ है और गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) भी काफी बढ़ गया है जिसकी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को इस योजना की पहले से जानकारी थी और उन्होंने अपने पैसे बैंकों में जमा भी करा दिए। नोट बंदी के कारण कानून एवं व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई है और अब दंगे भी होंगे और समाज को विभाजित करके शासन किया किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश शांति से चल रहा था, लेकिन अब पूरी तरह अव्यवस्था पैदा हो गई है।
यह पूछे जाने पर कि आपके मार्च में कांग्रेस और अन्य दलों ने हिस्सा नहीं लिया, बनर्जी ने कहा कि इससे क्या होता है यह सामूहिक लड़ाई है इसके लिए राजनीति को भूल कर आना पड़ता है। असली बात मानवता की है और लोग संकट में हैं। मार्च में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सुदीप बंदोपाध्याय, भगवंत मान, चंद्रकांत खैरे, सौगात रे, दिनेश त्रिवेदी, सुदेंदुशेखर राय, डेरेक ओब्रायन, अरविन्द सावंत आदि शामिल थे।