अमल करें आसान: जनता पर भारी न पड़े नोटबंदी

new-curकेंद्र सरकार द्वारा प्रावधानों-रियायतों में 9 दिनों में 18 बदलावों से भी इसी बात की पुष्टि होती है कि काले धन के लिए 500 और एक हजार रुपये के नोट बंद करते समय वह इसके प्रभाव और परिणाम का सही आकलन नहीं कर पायी। जाहिर है, गलत आकलन से तो अमल में कदम-कदम पर मुश्किलें आनी ही थीं। सरकार की इसी चूक का खमियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए अगर सरकार ने पहले ही एटीएम को 2000 रुपये के नये नोट के अनुकूल बना दिया होता या फिर नये नोट का आकार ही मौजूदा एटीएम के अनुकूल रखा होता तो ऐसी अफरातफरी नहीं मचती। सभी बैंक शाखाओं में धन की जरूरत और उसे वहां पहुंचाने के समय का भी आकलन असंभव तो नहीं था। जिन काला धन मालिकों के खिलाफ यह कदम बताया जा रहा है, वे तो फिलहाल किसी परेशानी में नजर नहीं आ रहे। अलबत्ता मीडिया में आये दिन खुलासा हो रहा है कि काले धन को सफेद करने के लिए कैसे-कैसे तरीके ईजाद हो रहे हैं। निश्चय ही इस प्रवृत्ति और काले धन पर चोट के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है, लेकिन यह काम इस तरह किया जाना चाहिए कि ईमानदारी और मेहनत से धन कमाने वालों को न्यूनतम समस्याएं पेश आयें। कहना नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला सही सोच का परिचायक होते हुए भी गलत क्रियान्वयन के चलते नकारात्मक प्रभाव और परिणाम दे रहा है।
10 दिन बाद भी बैंक-एटीएम पर कतारों में कमी न होना बताता है कि बार-बार प्रावधानों में बदलाव के बावजूद सरकार नोट निकासी और बदलाव को आसान नहीं बना पायी है। ईमानदार लोगों को इस काम में जहां भारी मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है, वहीं चलता-पुर्जा लोगों ने इसे भी कमाई का जरिया बना लिया है। लोग दिहाड़ी लेकर लाइन में लग रहे हैं तो अलग-अलग आईडी देकर नोट बदलवाने की सरकारी सीमा को ठेंगा दिखाने में कामयाब रहे हैं। विवाह वाले परिवारों और किसानों की मुश्किलों का पहले ही ध्यान रखा जाना चाहिए था, पर अब शादी के कार्ड की जो शर्त लगायी गयी है, उसके फर्जीवाड़े को रोकने का कोई उपाय है क्या? आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर आने वाले दिनों में सरकार अपने प्रावधानों में कुछ और बदलाव करे। बेशक आम लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाये जाने चाहिए क्योंकि 10 दिन में ही धैर्य खोने लगे लोग और 40 दिन शायद ही संयम रख पायें। उस स्थिति में निहित स्वार्थी और शरारती तत्वों को हालात और भी बिगाडऩे का मौका मिल जायेगा। काले धन के खिलाफ सरकार की जिद का सम्मान किया जा सकता है, लेकिन अमल को व्यावहारिक बनाने में यह आड़े नहीं आनी चाहिए।